उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य सरकार ने प्रदेश भर के तहसीलदार, नायब तहसीलदार, अधीक्षक भू-अभिलेख, सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख, जनपद पंचायत के सीईओ सहित प्रशासनिक अफसरों का तबादला आदेश जारी किया था। राज्य शासन के इस ट्रांसफर आदेश को चुनौती देते हुए प्रशासनिक अफसरों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। याचिकाकर्ता प्रशासनिक अफसरों ने तर्क दिया कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने बीते 27 फरवरी को लोकसभा चुनाव में कार्यकाल और ट्रांसफर को लेकर नया स्पष्टीकरण दिया है, जिसके मुताबिक लोकसभा चुनाव में तीन साल के कार्यकाल का नियम केवल रिटर्निंग ऑफिसर और असिस्टेंट रिटर्निंग आफिसर पर लागू होता है।
215 अफसरों… लेकिन, राज्य सरकार ने आयोग के निर्देशों को आधार पर बनाकर तहसीलदार, नायब तहसीलदार, अधीक्षक भू-अभिलेख, सहायक अधीक्षक व जनपद पंचायतों के सीईओ का भी ट्रांसफर आदेश जारी कर दिया है, जिसे निरस्त किया जाना चाहिए।
शासन ने भी माना- आयोग ने जारी किए नए निर्देश : मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकीलों ने तर्क दिया कि आयोग के स्पष्टीकरण के आधार पर तबादला आदेश निरस्त किया जाना चाहिए। राज्य शासन की तरफ से भी बताया गया कि चुनाव आयोग ने ट्रांसफर को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने तबादला आदेश निरस्त कर दिए।
इस कैटेगरी में हुए तबादले: राज्य सरकार ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग के 23 फरवरी के दिशा निर्देश को आधार पर बनाकर प्रशासनिक अफसरों का तबादला आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार 49 तहसीलदार, 79 नायब तहसीलदार, 5 भू-अभिलेख अधीक्षक, 59 सहायक अधीक्षक भू- अभिलेख, 23 जनपद पंचायत सीईओ का ट्रांसफर किया गया था।