सुरक्षा में चूक के सवाल पर जेल महानिदेशक गिरधारी ने कहा, कैदी ने पूर्व में भी पेशी पर जाने के दौरान अलग-अलग विभागों को पत्र भेजा था, जिसकी जानकारी जेल प्रबंधन को नहीं थी। शिकायत पत्र भेजने के 4 मामलों में उसके खिलाफ जेल मैनुवल के अनुसार कार्रवाई की जा चुकी है। मामले की जांच पुलिस कर रही है। गंभीर और दंडनीय अपराध होने के कारण एफआईआर दर्ज कराने जेल अधीक्षक को आदेश दिए गए हैं।
डकैती और हत्या के 42 मामलों में आरोपी और बिलासपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सक्ती निवासी पुष्पेन्द्र नाथ चौहान पिता शत्रुघनलाल (40) ने कुछ दिन पूर्व ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को जान से मारने की धमकी देते हुए 50 करोड़ रुपए फिरौती देने के लिए खत भेजा था। ओडिशा सरकार ने इसे गंभीर मानते हुए मामला जांच के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के पास भेजा। राज्य शासन ने इस मामले में जांच के निर्देश दिए, जिसके बाद रविवार को एएसपी नीरज चंद्राकर जेल में कैदी पुष्पेंद्र नाथ से पूछताछ के लिए पहुंचे थे। उन्होंने पुष्पेंद्र का बयान दर्ज किया, जिसमें पुष्पेंद्र ने खत लिखने, धमकी देने और फिरौती मांगने की बात स्वीकार भी कर ली।
सोमवार को जेल महानिदेशक गिरधारी नायक बिलासपुर केन्द्रीय जेल पहुंचे। उन्होंने भी पुष्पेंद्र से लगभग आधे घंटे तक पूछताछ की। करीब एक घंटे जेल में जांच-पड़ताल करने के बाद चर्चा करते हुए गिरधारी नायक ने बताया कि आरोपी पुष्पेन्द्र नाथ चौहान ने मशहूर होने के लिए ओडिशा के सीएम को पत्र भेजकर हत्या करने और 50 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी थी। वर्ष 2009 से वह केन्द्रीय जेल बिलासपुर में है, उसके खिलाफ कुल 42 मामले दर्ज हैं। वह हत्या व डकैती के 2 मामलों में आजीवन कारावास की सजा का रहा है। 40 प्रकरणों में वह पेशी पर संबंधित न्यायालयों में जाता है। जेल महानिदेशक ने बताया, कि पुष्पेंद्र ने पेशी के दौरान न्यायालय परिसर के लॉकअप में ओडिशा के सीएम को धमकी भरा पत्र लिखा। उसने पत्र में पता केन्द्रीय जेल का लिखा है।
रिकॉर्ड में पुष्पेंद्र चौहान एक खूंखार कैदी है। उसे अलग सेल में रखा गया है। इसके बावजूद उसे खत लिखने के लिए कब और किसने पेन-कागज उपलब्ध कराया। क्या उसे खत लिखते भी किसी ने नहीं देखा? मालूम हो कि पुष्पेंद्र इससे पहले भी कई बार इस तरह विभागों को पत्र लिख चुका।
यदि खत जेल में लिखा गया था, तो कैदी को पेशी पर जेल से बाहर ले जाते समय उसकी तलाशी नहीं ली गई। जबकि किसी के जेल से बाहर आते या भीतर जाते समय बारीकी से चेक करने का नियम है।
यदि पुष्पेंद्र ने जेल के भीतर धमकी भरा खत नहीं लिखा, तो पेशी पर ले जाने के बाद न्यायालय परिसर स्थित लॉकअप में लिखा होगा। सवाल ये कि यहां भी उसे किसने पेन-कागज उपलब्ध कराया। और यदि ऐसा हुआ, तो उस समय सुरक्षा में तैनात प्रहरी आखिर क्या कर रहे थे?
पुष्पेंद्र का खत आखिर ओडिशा के सीएम तक कैसे पहुंचा। इसे पहुंचने में कम से कम 5 दिन लगते हैं। फिर इसे भेजने के लिए डाक टिकट लगानी पड़ती है। आखिर उसे डाक टिकट किसने उपलब्ध कराई। और यदि उसने किसी और के जरिए खत पोस्ट करवाया, तो कैसे और कब। जबकि वह तो सजा काट रहा है और लगातार हिरासत में है।
बड़ा सवाल ये कि अगर पेशी पर जाने के बाद खत पोस्ट किया गया, तो कब और किस पेशी के समय। उस वक्त जेल के गेट से लेकर, वेन में ले जाने और न्यायालय परिसर के लॉकअप में रखने और वापस लाने तक सुरक्षा ड्यूटी पर कौन तैनात था।
या तो ये मामला सुरक्षा में लगे लोगों की गंभीर लापरवाही का है। या फिर सांठगांठ का। दोनों परिस्थितियों में अब तक जेल प्रबंधन या पुलिस ने क्या किया। किसी पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
इस मामले में जेल अधीक्षक एसएस तिग्गा कहते हैं कि कैदी पुष्पेंद्र ने जेल के भीतर से पत्रा नहीं लिखा। क्योंकि जेल में आने और जाने के समय कपड़े उतरवाकर कैदियों की तलाशी ली जाती है। इसका प्रमाण जेल के सीवीटीवी कैमरे में दर्ज है। आरोपी पुष्पेन्द्र नाथ ने पेशी पर जाने के दौरान वर्ष 2017 में 4 बार शिकायत कई विभागों को पत्र भेजा था। जेल से बाहर निकलने के बाद शिकायत पत्र भेजने के मामले में उसके खिलाफ 24 मार्च को दो, 29 जुलाई और 28 अगस्त को 4 बार कार्रवाई की जा चुकी है। उसे पिछले 3 साल से सेल में अकेले रखा जा रहा है।
मामले की जांच कर रहे एएसपी नीरज चन्द्राकर ने अनुसार, आरोपी का बयान लिया गया है। कैदी ने अगस्त महीने में पेशी पर जाने के दौरान पत्र लिखना स्वीकार किया है। उसने न्यायालय के लॉकअप में मिलने आने वाले साथियों के माध्यम से ओडिशा के मुख्यमंत्री समेत कई प्रशासनिक अधिकारियों पत्र भेजा था। किस दिन की पेशी और सुरक्षा में किन पुलिस कर्मियों ने उसे पेन-कागज उपलब्ध कराया, इसकी जांच की जाएगी। पेशी के दौरान कैदी को उसके साथियों से मिलवाने वाले पुलिस कर्मियों की पतासाजी की जा रही है।