scriptरेलवे में पार्सल बुक कराने का मतलब अपनी मुश्किलें और बढ़ाना, उठानी पड़ती है परेशानी | Railways not serious about parcel | Patrika News
बिलासपुर

रेलवे में पार्सल बुक कराने का मतलब अपनी मुश्किलें और बढ़ाना, उठानी पड़ती है परेशानी

सामान अंदर होने के कारण नहीं उतरना भी एक वजह है।

बिलासपुरOct 04, 2018 / 03:34 pm

Amil Shrivas

railway

रेलवे में पार्सल बुक कराने का मतलब अपनी मुश्किलें और बढ़ाना, उठानी पड़ती है परेशानी

बिलासपुर. रेलवे में पार्सल बुक करवाने वाले अधिकांश लोग अपने सामान को लेकर चिंतित रहते हैं। वे सोचते है कि सामान सही सलामत पहुंचेगा की नहीं। दरअसल रेलवे की अव्यवस्था के कारण उनका यह सोंचना भी जायज है। क्योंकि एक बार जो सामान बुक करा लेता है, दूसरी बार उसे सामान बुक कराने में दस बार सोंचना पड़ता है। अव्यवस्था का आलम ऐसा है कि पार्सल जहां पर उतरना चाहिए, वहां पर न उतरकर अन्य स्टेशनों में उतार दिया जाता है, जो लावारिश हालत में पड़ा रहा है। एक ऐसा ही मामला बिलासपुर का सामने आया। जिसमें मालिक को अपना सामान लेने पैसे, समय की बर्बादी करनी पड़ी।

छोटे या मझोले व्यापारी औसतन माल होने पर उसे सस्तेदर पर रेलवे मार्ग से लाना पहली पसंद बताते तो हैं, लेकिन नियम और समस्याओं को देखते हुए वह रेलवे मार्ग का इस्तेमाल करने से परहेज भी करते हैं। इसकी जब वजह जानने का प्रयास किया गया तो मालूम हुआ की रेलवे में पार्सल बुक कराने का मतलब अपनी मुश्किलें बढ़ाने से ज्यादा कुछ नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बुक पार्सल अगर सही जगह पर उतर गया तो ठीक, नहीं तो वह कब और किस हालत में आप तक पहुंचेगा इसकी गारंटी लेने वाला कोई नहीं है। वही रेलवे से पार्सल बुक न कराने की दूसरी सबसे बड़ी समस्या सामानों का गुम होना या चोरी होना है। यह भी एक वजह है कि छोटे व्यापारी रेलवे से सामान मंगाना पंसद नहीं करते। कुछ व्यापारियों ने बताया कि रेलवे में क्लेम के नियम ही बहुत जटील हैं। सीधे क्लेम के लिए काफी परेशान होना पड़ता है और ब्रोकर के माध्यम से जाएं तो क्लेम लेने में आसानी तो होती है, लेकिन राशि बहुत कम होती है इससे सामान की लागत भी वसूल नहीं हो पाती।

यात्री ने कहा होना पड़ता है परेशान : बिलासपुर निवासी एएस राठौर का फर्नीचर का काम है। उनका दिल्ली से सामान आता है और वह झांसी-आगरा तक जाता है। उनके साथ कई बार यह हो चुका है। वह माल भेजते हैं लेकिन तय जगह नहीं उतर पाता। कई बार तो उन्हें सामान की जानकारी महीनों बाद होती है। राठौर ने बताया कि 1 सितम्बर को भोपाल से अपनी बाइक लेकर बिलासपुर साथ में पहुंचे, लेकिन बिलासपुर में बाइक नहीं उतर पाई। उन्हें पार्सल बाबू ने गाड़ी रायपुर में उतरने की जानकारी दी। गाड़ी लेने वह ट्रेन से जबरिया रायपुर पहुंचे, लेकिन उनकी बाइक हाकरों ने नहीं उतारी और ट्रेन का आखरी स्टापेज दुर्ग होना बताते हुए वहां उतर जाएगा कहा। ट्रेन दुर्ग पहुंची, लेकिन उनकी बाइक को वहां भी नहीं उतारा गया। इस पर उन्होंने हमालों को कुछ रुपए दिए और बाइक को उतारा। बिलासपुर आ रही दूसरी ट्रेन में चढ़ाने का अलग से रुपए दिए। ट्रेन में बैठ कर वह बिलासपुर आए और फिर बाइक को किसी तरह उतरवाया उन्होंने कहा कि अगर वह रुपए देकर बाइक नहीं उतरवाते तो उनकी बाइक मुम्बई पहुंच जाती और वह कब तक वापस आती इसकी कोई समय सीमा नहीं होता।

पार्सल तय जगह न पहुंचने का कारण : 1. बुक पार्सल को पार्सलयान में चढ़ाते समय ओवर लोड़ होने के कारण दरवाजा ब्लॉक हो जाता है, जिसे हमाल खोल नहीं पाते और पार्सल ट्रेन के साथ चला जाता है, जहां माल खाली होता है, वहां सब सामान को उतार दिया जाता है। 2. रेलवे में माल भरते समय यह नहीं देखा जाता की कौन सामान बिलासपुर उतरेगा और कौन का सामान मुम्बई जाएगा। जगह के अनुसार सामान को भर दिया जाता है। इसके कारण बिलासपुर आने वाला सामान काफी अंदर रह जाता है और बाहर में वह सामान होते हैं जो लम्बी दूरी के होते हैं। सामान अंदर होने के कारण नहीं उतरना भी एक वजह है।
शिकायतें आ रही थी : पार्सल में ऐसी शिकायतें बहुत आ रही थी। इसके चलते रेलवे ने लीज नीति बनाई है। इसमें ब्रोकर को रैक दे दिया जाता है, वही सामान को चढ़वाता और उतरवाता है। सामान गुमने या कहीं उतरने की जिम्मेदारी लीज होल्डर की होती है। रेलवे अब केवल सामान का भार क्या है, इस पर ध्यान देता है।
रश्मि गौतम, सीनियर डीसीएम बिलासपुर.

Hindi News/ Bilaspur / रेलवे में पार्सल बुक कराने का मतलब अपनी मुश्किलें और बढ़ाना, उठानी पड़ती है परेशानी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो