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बिलासपुर

CG Public Opinion # topic of the day – रुस के पेरेस्त्रोइका की तरह संगठन बदले अपना चोला : चंद्राकर

प्रो. चंद्राकर ने लोगों से अपील की है कि संगठन की ताकत का इस्तेमाल लोकहित में करें, तभी परिवर्तन की बयार आएगी।

बिलासपुरJan 19, 2018 / 10:08 pm

Amil Shrivas

topic of the day
बिलासपुर . पत्रिका डॉट कॉम द्वारा आयोजित टापिक आफ द डे कार्यक्रम में शुक्रवार को पत्रिका कार्यालय में सीएमडी कालेज के ज्योगरफी विभाग के एचओडी डॉ. पीएल चंद्राकर उपस्थित हुए। उन्होंने संगठन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा, आज समाज जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें सभी प्रकार के संगठन अप्रासंगिक हो गए हैं। चाहे वो राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक या किसी प्रकार का कोई भी संगठन हो। उनके द्वारा अपनी भूमिका का सही निर्वहण नहीं किया जा रहा है। ये त्रासद स्थिति है। आज आवश्यकता इस बात कि है कि सबसे पहले इनके कारणों को समझा जाए कि अगर ऐसा हो रहा है तो क्यों? स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर दहेज, सती प्रथा और कई प्रकार के सामाजिक परिवर्तन लाने में संगठनों की प्रमुख भूमिका रही है। प्रो. चंद्राकर ने रुस के पूर्व राष्ट्रपति मिखाईल गोर्बाचोव का जिक्र करते हुए कहा कि संगठनों की नकारात्मक भूमिका को देखते हुए उन्होंने पेरेस्त्रोइका को देश और समाज के लिए अत्यंत जरुरी समझा। हालांकि उनका ये प्रयोग कालांतर में रुस में भीअप्रासंगिक हो गया। लेकिन इससे पेरेस्त्रोइका यानि पुर्नसंगठन की अहमियत को कम नहीं आंका जा सकता। आज आवश्यकता इस बात की है कि सभी प्रकार के संगठन अपनी भूमिकाओं का पुर्नमुल्यांकन करें और इसमें सुधार लाएं। इसकी पहली पाठशाला घर हो सकती है।
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जिसमें परिवार के सदस्य बच्चों में नैतिक मुल्यों की अहमियत बताएं, ताकि बच्चा जब स्कूल, कालेंज या अपने कार्यस्थल पर जाए तो जिम्मेदारियों का निर्वाह नैतिकता और समाज के हितों को ध्यान में रखेों। ये नहीं कि वक्ती फायदे के लिए सिद्धांतों या लोकहित की बलि ले ले। इसमें शिक्षण संस्थानों की भूमिका प्रमुख है। आज कालेज का कोई भी छात्र संगठन सिर्फ अपनी हेकड़ी दिखाने के लिए संगठन का उपयोग ना कर सके, बल्कि जायज मांगों को सही प्लेटफार्म पर उचित तरीके से रखे। इससे छात्रों का भी भला होगा और प्रबंधन भी उचित मांगों को तरजीह देकर छात्र हित में निर्णय ले सकेगा। गांधी, वाजपेयी, मदर टेरेसा ने भी संगठन क्षमता के बल पर ना सिर्फ ख्याति अर्जित की बल्कि समाज के दीन-हीनों और निर्धनों का भला किया। मदर टेरेसा के योगदान को भला कौन भूल सकता है। प्रो. चंद्राकर ने लोगों से अपील की है कि संगठन की ताकत का इस्तेमाल लोकहित में करें, तभी परिवर्तन की बयार आएगी।
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