
Avoid negative thoughts coming to mind due to corona epidemic
लॉकडाउन में अगर नकारात्मक विचार मन में आएं तो परेशानन हों, यह बेहद स्वाभाविक है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम नकारात्मकता को अपने ऊपर हावी होने दें। लॉकडाउन में भले ही हम कुछ सुविधाओं से अछूते हैं लेकिन यकीन जानिए हमारी स्थिति लाखों अन्य लोगों से कहीं बेहतर है। इसलिए इस बात का शुक्र मनाएं। ऐसे में हमें हमारे आनंद और सुख की परिभाषाएं बदलनी होंगी। पहले बाहर घूमना, फिल्म देखना, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करना हमें खुशी देता था, लेकिन अब लोग अपने परिजनों केसाथ समय बिता रहे हैं, उनके लिए खाना बना रहे हैं, घर के कामकाज में हाथ बंटा रहे हैं, बच्चों की देखभाल कर रहे हैं और उनके साथ अपना बचपन भी जी रहे हैं। अब ये बातें हमें ज्यादा खुश रखती हैं। लॉकडाउन में हमें मालूम चला कि हमें जिंदगी जीने के लिए कितने कम संसाधनों की जरुरत है।
कोरोना से संक्रमित लागों की संख्या भले ही ज्यादा हो लेकिन इससे मरने वालों की मृत्युदर बहुत कम है इसलिए आशा की जा सकती है कि कुछ समय बाद सब ठीक हो जाएगा। लोग फिर से पुरानी जिंदगी में लौटने लगेंगे लेकिन 'न्यू नॉर्मल' के साथ। बेवजह की ऊब का कारण है हमारा बहुत ज्यादा सोचना। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और चाहें तो नकारात्मक भी रहें क्योंकि यह हमें सचेत रखता है और नियमोंका पालन करने के लिए प्रेरित करता है। डर कुछ मायनों में बहुत अच्छा उपाय है। इसलिए इस स्थिति को स्वीकार करें और भविष्य में सब ऐसा नहीं रहने वाला। हालात में सुधार होते देख हम नई-नई योजनाएं बनाने लगते हैं लेकिन उनके पूरा होने में विलंब होने पर हम अधीर होने लगते हैं जिससे मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं। ऐसे में खुद पर संयम रखें और हालात के सामान्य होने का इंतजार करें।
Published on:
08 Jun 2020 11:21 pm
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