आहार में फाइबरयुक्त डाइट लें –
साबूत दालें-अनाज, सब्जियां जैसे गाजर, टमाटर आदि में ना घुलने वाला फाइबर होता है। दलिया, सेम, लोबिया सूखे मेवे और फल जैसे सेब, नींबू, नाशपाती, अनानास आदि में घुलनशील फाइबर होते हैं। फाइबर युक्त भोजन अधिक समय तक पेट में रहता है, इस कारण पेट भरा महसूस होता है। खाना कम खाया जाता है। इसी कारण वजन कम होता है। फाइबर युक्त भोजन पाचन के समय शरीर से वसा निकाल देता है। कॉलेस्ट्रॉल कम होता है। फाइबर युक्त भोजन से अधिक ऊर्जा मिलती है। फाइबर युक्त भोजन से शरीर व हृदय दोनों सशक्त होते हैं।
बाहर के खाने से बचें –
घर पर भोजन करना अधिक पौष्टिक होता हैं, क्योंकि आप स्वयं सब्जी, मसाले, चिकनाई एवं पकाने की विधि का चयन करते हैं। यह खाना सस्ता भी पड़ता है। सब्जियों को अधिक तलकर या भून कर ना बनाएं। इन विधियों में तल की खपत अधिक हाती है जिससे मोटापा बढ़ता है। उबालकर या कम तेल में खाना बनाने की चेष्टा करें और जहां तक हो सके, हमेशा ताजा खाना खाएं। मोटापे से रक्तचाप बढ़ता है और फिर दिल की अनेक बीमारियां होने का सदैव अंदेशा रहता है।
बैड फैट को कहें न, गुड फैट लें –
तेल, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएं और लाल मांस में नुकसानदेह वसा जिसे बैड फैट भी कहते हैं। यह बैड कॉलेस्ट्रॉल यानी एलडील को बढ़ाती है। हृदय को अस्वस्थ करती है, लेकिन मछली, दालें, टोफू, किनुआ आदि खाने से प्रोटीन एवं अच्छी वसा मिलती है। बाजार के पैक्ड फूड में अच्छी वसा नहीं मिलती है। चीनी एवं मैदे से बनी चीजों का प्रयोग कम से कम करना चाहिए। सूखे मेवे, हरी सब्जियों का उपयोग बढ़ा देना चाहिए।
नमक का प्रयोग कम करें –
भोजन में अधिक नमक की मात्रा होने से रक्तचाप बढ़ जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार एक वयस्क को एक दिन में 5 ग्राम से ज्यादा नमक हीं खाना चाहिए। ज्यादा लेने से हृदय संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। जहां तक हो सके ताजा खाना खाएं।