
kidney stones causes symptoms and prevention
खानपान में बदलाव से पथरी की समस्या तेजी से बढ़ रही हैं। इसमें सर्जरी की जरूरत पड़ती है। लेकिन होम्योपैथी इलाज से न केवल सर्जरी से बचाव संभव है बल्कि बार-बार पथरी नहीं होती है।
स्टोन मुख्य रूप से कैल्शियम ऑक्जीलेट, फॉस्फेट और यूरिक एसिड वाले होते हैं। इनमें 80 फीसदी कैल्शियम ऑक्जीलेट और फॉस्फेट से बनते हैं। इन पोषक तत्त्वों की शरीर में अधिकता के कारण ही ये गाढ़ा होकर पथरी का रूप ले लेती हैं। इसके मुख्य लक्षणों में तेज दर्द और यूरिन के समय जलन होता है।
इनको बार-बार होती पथरी -
आयुर्वेद की तरह होम्योपैथी में तीन प्रकृति वाले लोग होते हैं। इसमें सोरा, सिफलिस और सायकोटिक (सायकोसिस) है। जिनकी प्रकृति सायकोसिस की होती है। उनमें ही बार-बार पथरी बनती है।
एक गिलास जूस पीएं -
खट्टे फलों में मौजूद साइट्रिक एसिड कैल्शियम और फॉस्फोरस को घुलनशील बना देता है। इससे पथरी बनने की आशंका घटती है। साथ ही अगर कोई पथरी की दवा ले रहा है और संतरे, मौसमी, अननास आदि सिट्रस फलों का जूस रोजाना एक गिलास पी रह है तो उसे भी फायदा मिलेगा।
महिलाओं में ब्लैडर स्टोन -
पुरुषों में किडनी का स्टोन तो वजनी महिलाओं में गॉलब्लैडर का स्टोन अधिक होता है। आनुवांशिक के साथ अधिक कोलेस्ट्रॉल से भी यह समस्या होती है।
भिंडी-सॉफ्ट ड्रिंक्स से बचें-
टमाटर, बैंगन, पालक, कच्चा चावल, बीज वाली चीजें जैसे भिंडी न खाएं। साथ ही सॉफ्ट ड्रिंक्स और चॉकलेट से भी पथरी की आशंका बढ़ती है।
एंटीबायोटिक्स लेते हैं तो -
एंटीबायोटिक ले रहे हैं तो होम्योपैथी दवा न लें। इससे होम्योपैथी दवा का असर नहीं होता है। एंटीबायोटिक्स बंद करने के अगले दिन से होम्योपैथी दवा ले सकते हैं।
यहां भी आजमा सकते -
होम्योपैथी में इलाज लेकर फिस्टूला, फिशर और पाइल्स में सर्जरी की समस्या को टाला जा सकता है। कोन्स, बिनाइन ट्यूमर, और यूट्रस में फाइब्रॉइड में भी यह पैथी कारगर है।
Published on:
13 Dec 2019 05:12 pm
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