इसे टाइगर ब्रीदिंग भी कहते हैं। इससे कंधों पर दबाव पड़ने से रीढ़ की हड्डी पर भी असर होता है। विशेषकर महिलाओं के लिए इसे फायदेमंद माना जाता है। ये न करें: तेज कमरदर्द या घुटनों से जुड़ी दिक्कत हो या हाल ही पेट-पीठ से जुड़ी कोई सर्जरी हुई हो तो इसे न करें।
घुटनों के बल खड़े हो जाएं। घुटनों के बीच अंतर रखें। थोड़ा आगे झुककर हथेलियों को ठीक कंधों के नीचे जमीन पर रखें। हाथों के बीच समान दूरी रखें। कमर ऊपर उठाते हुए सांस तब तक अंदर खींचे जब तक हवा से पेट भर न जाए। कंधों को ऊंचा न उठाएं। सिर ऊपर ही रखें। पीठ को बीच से ऊपर उठाएं व सिर नीचे झुकाएं। सांस बाहर छोड़ें। कमर सीधी करें।
इसे करने से शरीर के सभी अंग सक्रिय होने के साथ कंधे मजबूत होते हैं। कमर व गर्दन दर्द या हाई बीपी में इसे न करें। ऐसे करें: पीठ के बल लेटें। हाथ शरीर के बगल में हों। गहरी सांस लेते हुए पैरों को ऊपर उठाएं। इस दौरान घुटने न मोड़ें। पैरों को जमीन से 90 डिग्री कोण पर और कमर को भी हाथों की मदद से धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। कोहनियां जमीन पर टिकी हों। क्षमतानुसार इस अवस्था में रुककर पैरों को धीरे-धीरे नीचे लाएं व कुछ देर शवासन की मुद्रा में लेट जाएं।
इससे कमर से लेकर गर्दन, कंधे व हाथों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसे करने से रक्तसंचार बेहतर होने के साथ शरीर में लचीलापन आता है। ऐसे करें : कमर सीधी कर बैठें व दोनों पैर आपस में मिलाएं। सांस लेते हुए दोनों हाथ कंधों की सीध में ऊपर लाएं। सांस छोड़ते हुए कमर से झुकें। हाथों से पैरों के बराबर जमीन छूएं। पैर-हाथों को सीधा रखें। कुछ देर इस स्थिति में रुककर प्रारंभिक अवस्था में आएं।