
शरीर को फिट रखने के लिए शुरू से ही आपको अपना एक फिटनेस रुटीन बना लेना चाहिए। ताकि आपको हैल्दी रहने की आदत पड़ जाए।
09 से 19 वर्ष तक
फोकस: मांसपेशियों की स्ट्रेंथ/स्पीड/लचीलापन बढ़ाना -
फिटनेस एक्सपर्ट के अनुसार एक्सरसाइज शुरू करने के लिए कोई भी उम्र कम नहीं होती। लेकिन बचपन में स्पोट्र्स से फिटनेस प्लान शुरू करना एक अच्छा आइडिया है। इस उम्र में भागदौड़, टेनिस, बैडमिंटन, क्रिकेट और कबड्डी जैसे आउटडोर गेम्स में दिलचस्पी लेनी चाहिए। इस उम्र में ट्रेनर का पूरा फोकस मसल्स की मजबूती, लचीलापन और स्पीड पर होना चाहिए। जिम में मशीन का ज्यादा प्रयोग करके शरीर को तनाव न दें। स्ट्रैचिंग, लंजिंग व क्रॉलिंग जैसी गतिविधियों में बच्चों को शामिल करें। फुल बॉडी स्ट्रेच पर भी विचार करें। कई न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार किशोरों में अपनी बॉडी इमेज को लेकर काफी जागरूकता होती है। ऐसे में संतुलित डाइट लें।
20 से 30 वर्ष तक -
फोकस: बोन डेंसिटी और मजबूत मांसपेशियां -
अगर आपकी शुरुआत अच्छी रही है तो इस उम्र में आप काफी फिट रहेंगे। लेकिन साथ ही आपको बढ़ती उम्र के प्रभावों का भी सामना करना पड़ेगा। इसके लिए कार्डियो वर्कआउट के साथ वेट ट्रेनिंग भी जरूरी है। इससे मांसपेशियों को मजबूती और हड्डियों को ताकत मिलती है। इनसे भविष्य में होने वाली ओस्टियोपोरोसिस बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी। इसलिए मशीन पर वर्कआउट करने के बजाय वेट लिफ्टिंग करें। इस उम्र में कॉलेज लाइफ के साथ वर्किंग लाइफ भी शुरू होती है। इसलिए शरीर में ऊर्जा बनाए रखने के लिए प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का सही संतुलन रखें। साथ ही कैल्शियम व विटामिन्स संतुलित मात्रा में लें।
40 से 50 वर्ष तक-
फोकस : पेट की चर्बी नियंत्रित करने पर -
इस उम्र में वर्कआउट प्लान शुरुआती दिनों जैसा ही रहेगा। इस दौरान पेट की चर्बी नियंत्रित रखें। यह समस्या एंडोक्राइनल सिस्टम से जुड़ी है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन कम होने से मांसपेशियों और हड्डी के जोड़ पर असर होता है। वहीं महिलाओं में मेनोपॉज का वक्त नजदीक होने से एस्ट्रोजन की कमी से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। ऐसे में उन एक्सरसाइज को चुनें जिसे दो मिनट करने के बाद आपको रुकना पड़े। एक मिनट के आराम के बाद इसे दोहराएं। बॉडी फैट कम करने का यह बेहतरीन वर्कआउट है। नर्वस सिस्टम के साथ शरीर के अन्य अंगों का कार्य बेहतर होता है। इस उम्र में शरीर को एंटीऑक्सीडेंट्स की जरूरत ज्यादा होती है।
50 पार की उम्र-
फोकस: कार्डियोवैस्कुलर फंक्शन/बोन डेंसिटी/मसल्स मास बढ़ाना -
आमतौर पर इस उम्र में फेफड़े व हृदय को रक्त की पंपिंग व पोषक तत्त्व मांसपेशियों तक भेजने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में वॉकिंग, जॉगिंग, स्वीमिंग और साइक्लिंग करें। मसल लॉस रोकने व बोन डेंसिटी बेहतर करने के लिए वेट ट्रेनिंग जरूरी है। लोअर बॉडी की हड्डियों का घनत्व बढ़ाने के लिए स्क्वैट्स व लंजेज और अपर बॉडी के लिए शोल्डर प्रेस करें। रेगुलर वर्कआउट से इस उम्र में होने वाले लोअर बैक पेन, गर्दन-घुटने में दर्द से बच सकते हैं। योगाभ्यास कर सकते हैं। डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड (अखरोट/कद्दू के बीज आदि) लें। इस उम्र में सलाद, फलों का रस, नारियल पानी आदि प्रचुर मात्रा में लें।
Published on:
03 Sept 2019 01:35 pm
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