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नोवेल कोरोनावायरस से बचने के लिए करना होगा ये काम

लोगों को खांसने व छींकने के दौरान श्वसन बूंदों को फैलने से रोकने के लिए नैपकिन, हाथ या अपने मुंह व नाक को ढकना होगा।

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जयपुर

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Vikas Gupta

Feb 11, 2020

नोवेल कोरोनावायरस से बचने के लिए करना होगा ये काम

novel coronavirus prevention and control

बीजिंग। नोवेल कोरोनावायरस सामान्य तौर पर लंबे समय तक हवा में नहीं बना रहता है और वर्तमान में नए वायरस के एरोसॉल के जरिए संचरण के कोई साक्ष्य नहीं हैं। चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के संक्रामक रोग के एक शोधकर्ता फेंग लुझाओ ने यह टिप्पणी एक प्रेस कांफ्रेंस में की।

फेंग ने कहा कि मौजूद समय में वायरस मुख्य रूप से रिस्पाइरेटरी ड्रॉपलेंट्स (श्वसन में आने वाली बूंदों) व संपर्क से फैलता है। उन्होंने कहा कि वायरस आम तौर पर एक-दो मीटर के रेंज में फैलता है। उन्होंने कहा कि लोगों को खांसने व छींकने के दौरान श्वसन बूंदों को फैलने से रोकने के लिए नैपकिन, हाथ या अपने मुंह व नाक को ढकना होगा।

चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को साफ तौर पर कहा कि नोवेल कोरोनावायरस के ऐरोसॉल व ओरल-फीकल के जरिए संक्रमण की पुष्टि की जानी है। उन्होंने फिर से कहा कि वायरस के संक्रमण का मुख्य जरिया संपर्क या रिस्पाइरेट्री ड्रॉपलेट्स के सीधे संक्रमण से है।

इसका स्पष्टीकरण राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) ने अपनी आधिकारिक सिना वेबो अकाउंट के जरिए दिया। यह स्पष्टीकरण शनिवार को शंघाई सिविल अफेयर्स ब्यूरो के डिप्टी हेड जेंग क्यून द्वारा नोवेल कोरोनावायरस के एरोसॉल के जरिए फैल सकने की बात कहे जाने के बाद दिया गया।

रविवार की पोस्ट में एनएचसी ने स्पष्ट किया कि एरोसॉल ट्रांसमिशन (संचरण) प्रोटीन और रोगजनकों से बना नाभिक को संदर्भित करता है, जो ड्रॉपलेट्स से आते हैं और एरोसॉल के जरिए हवा में तैरते हैं, जो लंबी दूरी तक जा सकते हैं।

एनएचसी ने कहा कि आम तौर पर अगर हवा पर्याप्त रूप से चल रही है तो हवा में नोवेल कोरोनावायरस नहीं होगा और कहा गया कि लोगों को अपनी खिड़कियां दिन में कम से कम दो बार खोलनी चाहिए, जिसके संक्रमण से प्रभावी रूप से बचा जा सके।