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पार्किंसंस, अल्जाइमर के इलाज में प्रोटीन मददगार

वैज्ञानिकों को एक शोध में यह पता चला है। ये बीमारियां मस्तिष्क में एक प्रोटीन के गलत तरीके से काम करने के कारण होती हैं

Dec 29, 2016 / 10:56 am

कमल राजपूत

Parkinson

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न्यूयॉर्क। पार्किंसंस, हंटिंगटंस, अल्जाइमर तथा अमायोट्रॉफिक लेटरल स्क्लेरॉसिस (एएलएस) जैसी स्नायु संबंधी खतरनाक बीमारियों का प्रभावी इलाज एक प्रोटीन में बदलाव कर किया जा सकता है। वैज्ञानिकों को एक शोध में यह पता चला है। ये बीमारियां मस्तिष्क में एक प्रोटीन के गलत तरीके से काम करने के कारण होती हैं। ये प्रोटीन गलत तरीके से फोल्ड होकर स्नायु कोशिकाओं में जमा हो जाती हैं और अंतत: उसे खत्म कर देती हैं।

ग्लैडस्टोन इस्टीट्यूट्स ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान बीमारी पैदा करने वाले प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए एक अलग प्रोटीन (एनआरएफ2) का इस्तेमाल किया और कोशिका को बचाने में कामयाब रहे। ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट के स्टीवन फिंकबिनर ने कहा, हमने हंटिंगटंस डिजीज, पार्किंसन डिजीज तथा एएलएस में एनआरएफ2 प्रोटीन का इस्तेमाल किया और इन बीमारियों से निपटने में अभी तक के अध्ययन में यह सबसे प्रभावी रहा।

शोधकर्ताओं ने पार्किसंस डिजीज के दो मॉडलों में एनआरएफ2 का इस्तेमाल किया। पहले में स्नायु कोशिका में पाए जाने वाले प्रोटीन एलआरआरके2 में म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) हो गया था, दूसरा अल्फा-साइनूक्लिन में म्यूटेशन हो गया था। एनआरएफ2 को सक्रिय कर शोधकर्ता अतिरिक्त मात्रा में एलआरआरके2 तथा अल्फा सायनुक्लिन का सफाया करने के लिए कोशिका में कई ‘हाउस क्लीनिंग’ कार्य प्रणाली को चालू करने में कामयाब रहे।

ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट के शोध वैज्ञानिक गाइया स्कीबिंस्की ने कहा, ”दरअसल, एनआरएफ2 जीन एक्सप्रेशन के पूरे प्रोग्राम का समन्वय करता है, लेकिन हम अब तक यह नहीं जानते थे कि प्रोटीन के स्तर को नियंत्रित करने में यह कितना महत्वपूर्ण है।

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