आप जो हैं, उसी का विस्तृत रूप है यह सौरमंडल। एक सौर चक्र को पूरा होने में बारह साल, तीन महीने और कुछ दिन का वक्त लगता है। आपकी प्रणाली, आपकी ऊर्जा-प्रणाली को भी ठीक इतना ही वक्त लगना चाहिए। जब आप उतना ही समय लेंगे तो आपके चक्र पूरी तरह सूर्य के साथ तालमेल में होंगे। ऐसे में आप महसूस करेंगे कि आपका सिस्टम बिना किसी तरह के घर्षण के चल रहा है। सूर्य-क्रिया इस दिशा में एक शक्तिशाली प्रक्रिया है। सूर्य-क्रिया की यह प्रक्रिया आपके चक्रों को बड़ा करती है, इस तरह से कि आपकी ऊर्जा-प्रणाली के चक्र इतने बड़े हो जाएं कि वे बिल्कुल सौर चक्रों के बराबर हो जाएं।
सूर्य-क्रिया की दीक्षा-प्रक्रिया बहुत सरल होती है। यह सरल इसलिए है क्योंकि अगर आपने अपने शरीर या प्रणाली में एक खास स्तर की ज्यामिति हासिल कर ली है तो फिर आपको बस अपनी बनाई गई नई ज्यामिति की ही जरूरत होगी। नई ज्यामिति से मतलब है कि शरीर में मौजूद 114 चक्रों में से अगर आपके शरीर में 21 चक्र सक्रिय हो जाते हैं तो भी आप भरपूर जिंदगी जी सकते हैं। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से आप एक पूरी जिंदगी जी सकेंगे। यह दीक्षा मुख्य रूप से आपके सिस्टम में ऊर्जा डालने के लिए है। जिस इंसान में ये 21 चक्र पूरी तरह लचीले, सक्रिय और जीवंत हैं, वह अपने भीतर एक सक्रिय, ऊर्जावान और संपूर्ण जीवन जी सकेगा।
‘अंगमर्दन’ का मतलब अपने हाथ-पैरों या शरीर के अंगों पर नियंत्रण होना है। अंगमर्दन में आप मांसपेशियों का लचीलापन बढ़ाने के लिए अपने शारीरिक भार और बल का इस्तेमाल करते हैं। यह सिर्फ 25 मिनट की प्रक्रिया होती है। यह सेहत और खुशहाली पर बहुत चमत्कारिक असर करती है। यह एक अद्भुत प्रक्रिया है और अपने आप में संपूर्ण है। अगर आप जान-बूझकर पूरी चेतनता में अपने शरीर को किसी खास मुद्रा में ले जाते हैं तो अपनी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को या चेतनता को बदलकर बेहतर बना सकते हैं। आपको सिर्फ 6×6 की जगह चाहिए और बस आपका शरीर ही सब कुछ है। इसलिए आप जहां भी हों वहां इसे कर सकते हैं। यह किसी भी वेट ट्रेनिंग की तरह प्रभावशाली ढंग से शरीर को पुष्ट बनाकर उस पर कोई अनावश्यक जोर नहीं डालता। मांसपेशियों को मजबूत बनाना और मोटापा कम करना इसके सिर्फ छोटे-मोटे फायदे हैं।
उप-योग, योग की ही एक प्रणाली है। जिसका रुझान आध्यात्मिकता की ओर बहुत अधिक नहीं है। यह खासतौर से इंसान के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और ऊर्जा के स्तर पर काम करती है। यह इसलिए है ताकि इंसान एक अधिक संपूर्ण भौतिक जिंदगी जी सके। उप-योग का एक पहलू जोड़ों में चिकनाई लाना और ऊर्जा बिंदुओं को सक्रिय करना है।