वुहान और हूपेई प्रांत की हुई आलोचना –
महामारी फैलने की शुरूआत में वुहान और हूपेई प्रांत की आलोचना काफी तीव्र थी। यहां तक कि कुछ देशों ने कोरोना वायरस को वुहान वायरस भी करार दिया और बारंबार चीन पर हमला बोला। लेकिन चाहे वह इटली, स्पेन या फ्रांस हो, वायरस सितंबर 2019 से पहले के रक्त, अपशिष्ट जल या रोग के मामलों में पाया गया है। इन निर्णायक सबूतों को देखने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अंतत: पुष्टि की कि कोरोनावायरस वुहान से नहीं आया है।
वुहान ने सबसे पहले वायरस का पता लगाया –
अब डब्ल्यूएचओ का फैसला आ चुका है। वुहान ने बस सबसे पहले वायरस का पता लगाया और सबसे पहले रिपोर्ट की। इससे न सिर्फ साबित हुआ है कि वुहान निर्दोष है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि कुछ देशों ने बुरी मंशा के साथ चीन पर कालिख पोती और महामारी का राजनीतिकरण किया।
कोरोना वायरस लैब में नहीं बना –
वास्तव में हुपेई प्रांत और वुहान शहर के लोगों ने सरकार के निर्देशन में और सभी चीनी लोगों की सहायता में महामारी की रोकथाम के लिए भरसक प्रयास किया और भारी कीमत चुकाई । यह मानव जाति के लिए चीनी लोगों का महान योगदान है, नहीं तो अब पूरी दुनिया में महामारी की स्थिति और खराब होगी। बहुत सारे अध्ययनों से साबित हुआ है कि कोरोना वायरस प्रयोगशाला में नहीं बनाया गया है और कृत्रिम वायरस कतई नहीं है। अमेरिकी वैज्ञानिकों के अध्ययन से जाहिर है कि कोरोना वायरस प्रकृति में पैदा हुआ है। अमेरिका के तूलेन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रॉबर्ट गैरी ने विज्ञान जर्नल प्राकृतिक चिकित्सा पर थीसिस जारी कर कहा कि वुहान में कोविड-19 मामले हैं, लेकिन यह पक्का है कि वहां महामारी का स्रोत नहीं है।