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International Women’s Day 2020: ये 4 फिल्में दिखाती हैं समाज को आइना.. पुरूष जरूर देखें

महिला दिवस (International Women’s Day 2020) पर समाज को आइना दिखाती फिल्में जरूर देखें पुरूष
फिल्म थप्पड़ (Thappad) में आपको दिखेगी महिला के आत्मसम्मान की लड़ाई
पिंक (Pink) देती है समाज को नज़रिया बदलने का सबक

नई दिल्लीMar 07, 2020 / 12:27 pm

Neha Gupta

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नई दिल्ली | बॉलीवुड में एंटरटेनमेंट फिल्मों के साथ-साथ कई ऐसी मूवीज़ भी बनती हैं जो समाज को नज़रिया बदलने का मैसेज देती हैं और महिलाओं के प्रति छिपी हुई संकीर्ण सोच को सामने रखती हैं। जब जागो तभी सवेरा इस कहावत को तो आपने सुना ही होगा, अगर आप अभी भी महिलाओं के सम्मान और उनके हक को नहीं समझते हैं तो आपको बॉलीवुड की कुछ ऐसी चुनिंदा फिल्मों को जरूर देखना चाहिए जो आपको सच का आइना दिखाएंगी। ये फिल्में सिर्फ समाज की प्रताड़ित महिलाओं का हाल ही नहीं दिखाती हैं बल्कि समाज के उस दृष्टिकोण को दर्शाती हैं जो महिलाओं और पुरूषों को अपनी सोच तले दबाता है।

थप्पड़ (Thappad)

हाल ही में रिलीज़ हुई तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) की इस फिल्म का नाम सुनने के बाद मुद्दा बहुत छोटा सा लगता है लेकिन फिल्म थप्पड़ वो कहती है जो समाज में, परिवार में हम कई सालों से अनदेखा करते आए हैं। फिल्म दिखाती है कि किसी फैमली में एक औरत का सम्मान, उसकी ख्वाहिशें, उसका महत्व समझना कितना जरूरी है। ये मूवी आपको अपनी पूरी फैमली के साथ जरूर देखनी चाहिए क्योंकि ये फिल्म शायद हर घर की कहानी बयां करती है।

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पिंक (Pink)

तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) और अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) की साल 2016 में आई फिल्म पिंक ने पहली बार एक ऐसा मुद्दा सामने रखा जो लगभग आज के हर यूवा के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। एक लड़की के पहनावे और उसके लाइफस्टाइल से उस जज करना समाज में आम बात है। लड़की ने छोटे कपड़े पहन लिए तो समाज में उसे झट से अच्छे से बुरे की कैटेगरी में डाल दिया जाता है। लड़के दोस्त हैं तो भी ऐसा ही कुछ होता है। इस फिल्म में यही बताने की कोशिश की गई है कि हर किसी को अपने अनुसार जीने का हक है, एक महिला को उसके रहन-सहन से जज करना बहुत ज्यादा गलत है। एक बार पुरूषों को ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए कि No Means No का मतलब क्या होता है।

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मर्दानी 2 (Mardaani 2)

रानी मुर्खजी (Rani Mukerji) की ये फिल्म क्राइम और थ्रिलर बेस्ड है जो भारत में महिलाओं के साथ हो रहे रेप के मामलें दर्शाता है। रानी फिल्म में एक महिला ऑफिसर के किरदार में नज़र आती हैं जो महिलाओं को एक चीज़ समझने वाले शख्स को दिन में तारें दिखाती हैं। समाज में ऐसे दरिंदों की कमी नहीं है जो महिलाओं को बुरी नज़र से देखते हैं और उनके साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देते हैं। महिलाओं के प्रति सोच बदलने के लिए ये फिल्म पुरूषों को जरूर देखनी चाहिए।

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छपाक (Chhapaak)

दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) की ये फिल्म एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की ज़िंदगी पर आधारित है। ये फिल्म उन लोगों के लिए थप्पड़ है जो सोचते हैं कि वो अपने गंदे मसूंबों से एक महिला को कमज़ोर कर सकते हैं। लक्ष्मी बनी मालती उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं जो इस तरह के दर्दनाक हादसे का शिकार हुईं। साथ ही उन पुरूषों के लिए एक सीख जो महिलाओं को अपने बराबर देखने से डरते हैं या फिर उनपर अपना हक समझते हैं।

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