नसीरुद्दीन ने कहा- ‘लोगों को नहीं पता अकबर और तैमूर में अंतर’
नसीरुद्दीन शाह ने एक मीडिया हाउस से बात करते हुए कई मुद्दों पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, “जो लोग मेरे विचारों का विरोध करने के आदी हैं, वे कभी नहीं समझ पाएंगे कि मैं क्या कह रहा हूं।” दरअसल, नसीरुद्दीन से सवाल किया गया कि उस देश को आप कैसे देखते हैं, जो यह मानता है कि इसके साथ जो कुछ भी गलत हुआ वह मुगलों के समय में हुआ। इस सवाल के जवाब में शाह ने कहा, ‘मैं इससे बहुत हैरान हूं। यह वास्तव में काफी हास्यास्पद है। अर्थात लोग अकबर और नादिर शाह या बाबर के परदादा तैमूर में अंतर नहीं बता सकते।”
‘मुगलों को दोषी ठहराना इतिहास के लिए इंसाफ नहीं’ – नसीरुद्दीन
शाह ने आगे कहा, “दरअसल नादिर शाह और तैमूर जैसे लोग यहाँ लूट के लिए आए थे, जबकि मुगल यहाँ लूट-मार करने नहीं, बल्कि बसने आए थे। वे यहां इस देश को अपना घर बनाने आए थे और उन्होंने ठीक वैसा ही किया। उनके योगदान को कोई नकार नहीं सकता। मुगलों को हर बात के लिए दोषी ठहरा देना इतिहास के साथ इंसाफ नहीं होगा।”
इतिहास की किताबों को लेकर नसीरुद्दीन ने कही ये बात
शाह ने कहा, “ऐसा सोचना कि मुगल में केवल बुराई थी, ये देश के इतिहास की समझ की कमी को दर्शाता है। हो सकता है कि इतिहास की किताबें भारत की स्वदेशी संस्कृति की कीमत पर मुगलों के महिमामंडन की हद तक बहुत दयालु थीं, लेकिन इतिहास में उनके समय को विनाशकारी के रूप में खारिज नहीं किया जाना चाहिए।”
‘अंग्रेजों ने लिखी है इतिहास की किताब’ – नसीरुद्दीन
एक्टर ने कहा, “दुर्भाग्य से स्कूल में इतिहास ज्यादातर मुगलों या अंग्रेजों पर आधारित था। हमें मुगल बादशाहों, लार्ड हार्डी और कर्नवालिस के बारे में विस्तार से पढ़ाया गया जबकि गुप्त वंश, मौर्य वंश, विजयनगर साम्राज्य, अजंता की गुफाओं, पूर्वोत्तर के इतिहास के बारे में ज्यादा नहीं पढ़ाया गया। हमने इनमें से कोई भी चीज नहीं पढ़ी क्योंकि इतिहास अंग्रेजों या एंग्लोफाइल्स द्वारा लिखा गया था और मुझे लगता है कि यह वास्तव में गलत है।। हालाँकि, मुगलों को भी लुटेरा या विनाशकारी कहकर खारिज कर देना भी गलत होगा।”
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‘मुगल साम्राज्य पर मढ़ा जा रहा दोष’ – नसीरुद्दीन
नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “जहां इतिहास के बारे में लोगों को सही जानकारी और सही तर्क नहीं होते, वहां नफरत और गलत जानकारी का साम्राज्य होता है। शायद यही कारण है कि देश का एक वर्ग अब बीते हुए कल पर, खासकर मुगल साम्राज्य पर दोष मढ़ता रहता है और इस पर मुझे गुस्सा नहीं आता, बल्कि हंसी आती है।”
‘गिरा दो ताजमहल और कुतुब मीनार’ – नसीरुद्दीन
शाह ने कहा, “अगर मुगल साम्राज्य इतना ही खराब और विनाशकारी था तो इसका विरोध करने वाले उनकी बनाई गए स्मारकों को गिरा क्यों नहीं देते। अगर उन्होंने जो कुछ भी किया वह खराब था, तो ताजमहल को गिरा दो, लाल किले को गिरा दो, कुतुब मीनार को गिरा दो। लाल किले को हम पवित्र क्यों मानते हैं, इसे एक मुगल ने बनवाया था। हमें उनका महिमामंडन करने की जरूरत नहीं है, लेकिन उन्हें बदनाम करने की भी जरूरत नहीं है।”
मुगल काल की आलोचना कर रेह मंत्री, बदल रहे जगह के नाम
बता दें, नसीरुद्दीन शाह ने ये बयान तब दिया जब सरकार के मंत्री लगातार मुगल काल की आलोचना कर रहे हैं। बीते कुछ साल में नाम बदलने की कवायद सी चल रही है। राष्ट्रपति भवन में ऐतिहासिक मुगल गार्डन का नाम बदलकर भी अमृत उद्यान कर दिया गया है। इसके अलावा 40 गांवों के ‘मुगल-युग’ के नाम बदले गए।