शर्मनाकः यूपी के इस शहर में 4 साल में रेप के मामले में 170 फीसदी से ज्यादा इजाफा
जिला पंचायत के सभागार में जिलाधिकारी डॉ. रौशन जैकब व एसएसपी मुनिराज ने जनपद में संचालित विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाचार्यों एवं प्रबन्धकों की एक बैठक की। बैठक में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। बैठक में कहा गया कि विद्यालयों की जिम्मेदारी है कि स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राऐं सुरक्षित रहें। विद्यालयों में सुरक्षित पहुंचे और विद्यालयों से सुरक्षित अपने घर पहुंचे। उन्होंने कहा कि विद्यालय में किसी बच्चे के साथ अनहोनी होती है तो इसके लिए संबंधित विद्यालय प्रबंधन पूर्ण रूप से उत्तरदाई होगा।
शनिवार को मिशन भरोसा योजना के तहत कहा गया कि बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने वाले वाहनों पर कार्यरत वाहन चालकों-कन्डक्टरों का डाटा बेस एक सप्ताह के अन्दर डीआईओएस एवं बीएसए को उपलब्ध कराएं। साथ ही डाटा प्राप्त होने के बाद वाहन चालकों एवं कन्डक्टर या हेल्परों का पुलिस एवं चिकित्सा सत्यापन प्रशासन के स्तर से कराया जाएगा। डीएम ने कहा कि स्कूल प्रबन्धक एवं प्रधानाचार्य वाहनों पर तैनात चालकों का वास्तविक ब्यौरा प्रारूप में भरकर संबंधित अधिकारी को उपलब्ध करा दें।
डीएम ने कहा कि पुलिस सत्यापन एवं मेडिकल चेकअप कराने के उपरान्त वाहन चालकों को स्मार्ट कार्ड के रूप में परिचय-पत्र प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। इस कार्ड में वाहन चालक का पूरा डाटा उपलब्ध रहेगा। साथ ही कहा कि विद्यालयों की बाउन्ड्री वॉल ऊंची करवाऐं और उनपर कटीले तार आवश्यक रूप से लगाए जाएं। विद्यालय में सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाएं और विद्यालय में अन्दर आने वाले आगुन्तकों का पूरा ब्यौरा रजिस्टर में दर्ज हो। साथ ही विद्यालय के समस्त स्टाफ के पास परिचय-पत्र भी उपलब्ध कराए।
डीएम ने स्कूल के मुख्य द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के भी निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इनकी रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखी जाएं। कैमरों की रिकॉर्डिंग के लिए किसी जिम्मेदार व्यक्ति की तैनाती सुनिश्चित की जाए। एआरटीओ विद्यालयों में बच्चों को लाने ले जाने वाले वाहनों की चैकिंग करें। कोई भी वाहन बिना फिटनेस के चलता हुआ पाया जाता है तो उसके विरूद्ध कार्यवाही भी करें। साथ ही विद्यालयों में छात्र-छात्राओं द्वारा मोबाइल फोन का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया जाए। डीएम ने कहा कि बच्चों के हाथ की जांच प्रतिदिन की जाए। यदि हाथों में किसी प्रकार की कट आदि पाया जाता है तो उनके अभिभावकों को विद्यालय में बुलाकर काउंसलिंग की जाए।