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ये तस्वीरें 6 मई की है। जब सात साल का प्रिंस अपने माता पिता की आंखों के सामने था। वह जिंदगी और मौत से जद्दोजहद कर रहा था। दरअसल, उसे खून की सख्त जरूरत थी, लेकिन वक्ते रहते सही समय पर उसे खून नहीं चढ़ाया जा सका। जिसकी वजह से आज प्रिंस इस दुनिया में नहीं है। दरअसल, बुलंदशहर जिला अस्पताल के फार्मेसिस्ट ब्रह्मस्वरूप को 25 अप्रैल को कोरोना पाजेटिव पाया गया था। इसके बाद जिला अस्पताल को सील कर सारी इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी गई। हालांकि 12 मई को जिला अस्पताल खोल दिया गया। मगर तब तक काफी देर होने की वजह से प्रिंस के शरीर में इन्फैशन फैल चुका था, जिसकी वजह से उसे बचाया नहीं जा सका और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया।
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गौरतलब है अस्पताल को सील करने की वजह से जनपद में 100 से ज्यादा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को खून मिलने और चढ़वाने की दिक्कत सामने आने लगी थी। इसी बीच प्रिंस को 11 अप्रैल और 13 मई को बहार खून चढ़वाना पड़ा । बीते दो दिन से प्रिंस को अचानक इन्फ़ैकशन बढ़ गया, जिससे उसकी मौत हो गई। अब प्रिंस तो नहीं रहा, मगर जिला प्रशासन के साथ स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को बाकी प्रिंस जैसे बच्चों के प्रति सजग होना पड़ेगा, ताकि एक-एक जान बचाई जा सके। मृतक के पिता विजयपाल ने बताया कि बेटे को थैलेसीमिया की बीमारी थी। लॉकडाउन के बाद ब्लड नहीं मिल पा रहा था। हाल ही में ही एक प्राइवेट अस्पताल में खून चढ़ाया था, जिसकी देर रात अचानक तबीयत खराब होने के बाद मौत हो गई। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल पहले समय से खुले रहते तो यह नहीं होता।