सूत्रों के अनुसार इस वर्ष मांग के मुताबिक यूरिया खाद की आपूर्ति नहीं हो सकी। अभी दिसम्बर माह का पूरा एक पखवाड़ा शेष है। इस साल अतिवृष्टि से खरीफ के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा। छोटे व मझोले किसान फसल उत्पादन कम रहने से सरसों व गेहूूं की बुवाई से पहले पर्याप्त मात्रा में यूरिया व डीएपी खाद नहीं खरीद सके, जबकि सम्पन्न किसानों ने आवश्यकता से अधिक यूरिया का संग्रहण कर लिया। वहीं कई डीलरों ने अपने बड़े किसान ग्राहकों को साधने के लिए स्टॉक कर उसे धीरे-धीरे खपा दिया। इसके चलते इन दिनों बाजार में यूरिया की बड़ी किल्लत सामने आ गई।