read more: पीएम मोदी ने रखा गांवो को डिजिटल युग से जोडऩे का लक्ष्य
ईटीएम की कमी, हाथ से कट रहे टिकट-
डिपो में इस समय इलेक्ट्रानिक टिकट मशीन ईटीएम टेंडर प्रक्रिया में ही अटकी है, तो कई खराब हो चुकी है। पिछले पाच महिने से टेंडर प्रक्रिया नही होने के चलते डिपो की अधिकांश बसों में हाथ से टिकट काट कर यात्रियों को दिए जा रहे हैं। डिपो में इस समय कुल ९६ ईटीएम मशीन है। लेकिन इलेक्ट्रानिक टिकटिंग मशीन से यात्रियों के लिए टिकट बना रहे कंडक्टरों के हाथ अब खाली हो रहे है। बूंदी डिपो में आवंटित ईटीएम की लाइफ पूरी हो चुकी है और अब नए टेंडर प्रक्रिया का इंतजार है। नई मशीनों के नहीं आने से मौजूदा समय में अधिकांश परिचालकों को मैनुअल टिकट बनाने पड़ रहे हैं। बूंदी डिपो को ईटीएम सप्लाई करने वाली कंपनी की ओर से जो टिकटिंग मशीन दी गई थी। उसकी लाइफ खत्म हो चुकी है। ईटीएम के जाते ही कंडक्टरों को अब पहले की तरह कागज का टिकट बनाना पड़ रहा है जो उन्हें काफी अखरता है।
ईटीएम की कमी, हाथ से कट रहे टिकट-
डिपो में इस समय इलेक्ट्रानिक टिकट मशीन ईटीएम टेंडर प्रक्रिया में ही अटकी है, तो कई खराब हो चुकी है। पिछले पाच महिने से टेंडर प्रक्रिया नही होने के चलते डिपो की अधिकांश बसों में हाथ से टिकट काट कर यात्रियों को दिए जा रहे हैं। डिपो में इस समय कुल ९६ ईटीएम मशीन है। लेकिन इलेक्ट्रानिक टिकटिंग मशीन से यात्रियों के लिए टिकट बना रहे कंडक्टरों के हाथ अब खाली हो रहे है। बूंदी डिपो में आवंटित ईटीएम की लाइफ पूरी हो चुकी है और अब नए टेंडर प्रक्रिया का इंतजार है। नई मशीनों के नहीं आने से मौजूदा समय में अधिकांश परिचालकों को मैनुअल टिकट बनाने पड़ रहे हैं। बूंदी डिपो को ईटीएम सप्लाई करने वाली कंपनी की ओर से जो टिकटिंग मशीन दी गई थी। उसकी लाइफ खत्म हो चुकी है। ईटीएम के जाते ही कंडक्टरों को अब पहले की तरह कागज का टिकट बनाना पड़ रहा है जो उन्हें काफी अखरता है।
read more: समय की पटरी पर लौटने को तैयार नही कोटा पटना एक्सप्रेस
इतना ही नहीं देर से टिकट बनने के कारण कंडक्टर बसों को भी प्रभावित करते हैं। रोडवेज कर्मियों ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया नही होने से मशीनें वापस हो चुकी हैं और नई मशीनें नहीं मिली है। इससे मैनुअल टिकट ही बनाए जा रहे हैं। इससे थोड़ी दिक्कत तो सबको उठानी पड़ रही है। लेकिन कोई मशीन खराब हो जाती हेै, तो उसे सुधार दिया जाता है टेंडर प्रक्रिया को ओर आगे बढ़ाने की बात की जा रही है।
इतना ही नहीं देर से टिकट बनने के कारण कंडक्टर बसों को भी प्रभावित करते हैं। रोडवेज कर्मियों ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया नही होने से मशीनें वापस हो चुकी हैं और नई मशीनें नहीं मिली है। इससे मैनुअल टिकट ही बनाए जा रहे हैं। इससे थोड़ी दिक्कत तो सबको उठानी पड़ रही है। लेकिन कोई मशीन खराब हो जाती हेै, तो उसे सुधार दिया जाता है टेंडर प्रक्रिया को ओर आगे बढ़ाने की बात की जा रही है।