राजस्थान के इस गांव में शादी करने से कतराते है लोग
आजादी के वर्षों बाद भी अगर किसी गांव के लोगों को नदी का गंदा पानी पिना पड़ रहा हो तो यह सरकार के लिए जिमेदारी वाली बात है। पचीपला गांव के लोग दिन की शुरुआत के साथ ही प्लास्टिक की जरीकेन को चेन से बाइक पर बांधकर नदी पर पहुंचते हैं और परिवार के लिए पानी का इंतजाम करते हैं घर ले जाकर इस पानी को छानकर पीने के काम लेते हैं।
पचीपला गांव में मोटर साइकिल पर नदी से पानी भरकर लाते हुए।
- नोताड़ा. आजादी के वर्षों बाद भी अगर किसी गांव के लोगों को नदी का गंदा पानी पीना पड़ रहा है। पचीपला गांव के लोग दिन की शुरुआत के साथ ही प्लास्टिक की जरीकेन को चेन से बाइक पर बांधकर नदी पर पहुंचते हैं और परिवार के लिए पानी का इंतजाम करते हैं घर ले जाकर इस पानी को छानकर पीने के काम लेते हैं। हालत यह है कि यहां विवाह के लिए आने वाले लोग पेयजल समस्या देख कर वापस लौट जाते है। सुविधा सपन्न परिवारों के तो फिर भी विवाह आसानी से हो जाते है, गरीब घरों में रिश्ते होने में पेयजल संकट बाधा बन जाता है।
- रैबारपुरा ग्राम पंचायत के पचीपला गांव में वैसे तो सालभर ही पानी की समस्या रहती है। इस गांव में पीने लायक पानी नहीं होने के कारण यहां के लोगों को गांव से करीब एक किमी दुरी पर निकल रही मेज नदी का पानी लाना मजबूरी बनी हुई है। गांव में लगे हैण्डपपों का पानी लोराइड युक्त है, जो पीने लायक नहीं है तथा चाय बनाते हैं तो पानी डालने पर दुध फट जाता है। कपड़े पर साबुन में झाग नहीं आता है। इस वजह से नहाने के लिए नदी पर जाना पड़ता है तथा पीने के लिए वहां से पानी लाना पड़ता है। ग्रामीण वर्षों से इस समस्या के समाधान की मांग करते आ रहे हैं लेकिन आश्वासन ही मिला पाता है समाधान नहीं।
- बाइक से तो कोई सिर पर रखकर लाते हैं पानी
पचीपला गांव के निकट बनी मेज नदी की पुलिया पर आमतौर पर रोजाना सुबह शाम पानी भरने व नहाने धोने वालों का जमघट लगा नजर आता है। कोई बाइक पर प्लास्टिक की जरीकेन बांधकर तो कोई सिर पर बर्तन रखकर पानी ले जाते हुए नजर आते हैं। ग्रामीण भंवर सिंह हाड़ा ने बताया की गांव में एक कुएं पर सरकारी ट्यूबवेल से पानी की सप्लाई तो होती है, लेकिन खारा होने के चलते उसे पीने में काम नहीं ले सकते। - कई बार तो गांव में किसी की सगाई करने मेहमान आ जाए और उनको पानी की इस समस्या का पता चल जाए तो दोबारा वापस नहीं आते हैं। पचीपला गांव की पानी की समस्या को लेकर राजस्थान पत्रिका पहले भी कई बार खबरों के माध्यम समस्या उठा चुका तो वहीं जिला परिषद सदस्य कृष्ण चंद्र वर्मा ने जिला परिषद की बैठक में राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर को दिखाकर इस मामले को उठाया था और इसका समाधान करवाने की मांग रखी थी, लेकिन अब तक किसी भी जिमेदार ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
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