राजाजी के स्वागत में संवरने लगा रामगढ़-विषधारी अभयारण्य
रामगढ़-विषधारी वनयजीव अभयारण्य में बाघों को शिफ्ट करने से पहले विचरण करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने का कार्य शुरू कर दिया है।
राजाजी के स्वागत में संवरने लगा रामगढ़-विषधारी अभयारण्य
नैनवां. रामगढ़-विषधारी वनयजीव अभयारण्य में बाघों को शिफ्ट करने से पहले विचरण करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने का कार्य शुरू कर दिया है। सुरक्षा के लिए वन्यजीव विभाग ने अतिरिक्त वनकर्मियों को तैनात करने के साथ ही बाघों के मूवमेंट वाले मार्गो को भी दुरुस्त करने का कार्य शुरू किया है। रामगढ़ किले के पास पहले से ही वॉच टावर बना हुआ है। साथ ही पानी के लिए एनिकट भी है। किले के नजदीक स्थित जुली फलोरा को भी साफ करवाया जा चुका है। 307 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले अभयारण्य में बाघों के मूवमेंट वाले मार्गो को चिन्हित किया जा चुका है। वन्यजीव विभाग उन मार्गो को ही बाघों का मार्ग मान रहे हैं जिन मार्गो से बाघ युवराज, बाघ टी 62 व बाघ टी 91 रणथम्भौर से निकलकर रामगढ़ अभयारण्य तक पहुंचे थे। बाघों का अधिकांश मूवमेंट इन्ही मार्र्गो पर रहा था। बाघ युवराज व बाघ टी-62 का तलवास के धुंधलाजी से गोया वाली पहाड़ी मार्ग, नर्सरी से गांव के पीछे वाली पहाड़ी तक, खिरनी वाले क्लोजर की पहाड़ी के नीचे, नीम खेड़ा मोड़ की पहाड़ी के नीचे वाले जंगल में सबसे ज्यादा मूवमेंट रहा था। गोया वाली पहाड़ी पर ही टी-62 के लिए फोटो ट्रेप कैमरे भी स्थापित किए थे। जबकि बाघ टी-91 का मूवमेंट गुढ़ासदावर्तिया, कुहनी व जामुनिया देह के बाद कालदा के जंगलों में अधिक रहा था। कालदां के जंगल में गुढ़ानाथावत-भीमलत, सीताकुंड व माला कुण्ड वाले क्षेत्र में भी मूवमेंट रहा था। इन उबड़-खाबड़ मार्गो को अब ठीक कराया जाएगा।
अतिरिक्त वनकर्मी किए तैनात
वन्यजीव विभाग के कोटा के उपवन संरक्षक बिजो जॉय ने मंगलवार को आदेश जारी कर एक दर्जन वन कर्मियों को सुरक्षा के लिए जेतपुर रेंज के अधीन नियुक्त कर दिया है। सभी वनकर्मियों को गुरुवार को ही जेतपुर रेंज में अपनी उपस्थित देने के निर्देश दिए हंै। यह वन कर्मी 5 नवम्बर तक जेतपुर रेंज के रेजर के अधीन कार्य करेंगे। इनमें दो कर्मचारी अभेड़ा बायोजिकल पार्क कोटा से, एक वनकर्मी शेरगढ़ अभ्यारण्य व नौ वनकर्मी रामगढ अभयारण्य की बूंदी रेंज से लगाए हैं। वहीं बाघों की शिफ्टिंग से पूर्व अन्य अभयारण्यों से यहां 40 सांभर, 50 चीतल व तीन नील गायें भी छोड़ी जाएंगी।