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यहां के खंडहर बोल रहे हैं कि कभी बुलंद थी इमारत

केशव धाम की अनदेखी, अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही पौराणिक धरोहर

बूंदीDec 03, 2020 / 07:49 pm

Abhishek ojha

यहां के खंडहर बोल रहे हैं कि कभी बुलंद थी इमारत

यहां के खंडहर बोल रहे हैं कि कभी बुलंद थी इमारत

केशवरायपाटन. केशव भक्तों को राज्य सरकार ने एक सपना दिखाया था कि केशव धाम को हरिद्वार की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। जब राज्य सरकार ने 2016-17 में योजना बनाई थी तो भक्तों के चेहरे खिले हुए थे, लेकिन योजना कागजों में बनी और कागजों में ही सिमट कर रह गई। यहां स्थित इमारतें कह रही है कि यह कभी बुलंद थी जो अब खंडहर में बदलती जा रही है। पुरातत्व महत्व की अनमोल धरोहर का रखरखाव समय पर नहीं होने से अब यह अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। जिम्मेदारों ने भी आंखें मूंद रखी है। जिससे योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई। भगवान केशव के मंदिर के सामने पूरब दिशा पर खुलने वाले मुख्य द्वार अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। छज्जे टूटे हुए हैं तो अंदर से खोखला हो गया।
गिरने के कगार पर पहुंचा नगाड़ खाना
चंबल नदी के किनारे स्थित मंदिर के पूर्व मुखी दरवाजे के ऊपर मंदिर निर्माण के समय ही नगाड़ खाना बनाया गया था। यहां पर नगाड़ा बजाए जाते थे। 350 साल पुराने इस नगाड़ खाने की किसी ने सुध नहीं ली तो यह जर्जर हो गया। वहां की दीवारों की मुंडेर के पत्थर गल गए। अब तो दीवारों के आर पार जगह बन चुकी है। यह पौराणिक धरोहर किसी भी समय ढहने से बड़ा हादसा हो सकता है।
5 करोड़ रुपए खर्च करने की थी योजना
धार्मिक नगरी को पर्यटक नगरी का स्वरूप देने की योजना बना कर तत्कालीन भाजपा सरकार के मंत्रियों ने खूब वाहवाही लूटी थी। इस योजना के तहत राज्य सरकार ने पुरातत्व विभाग के माध्यम से 5 करोड रुपए खर्च करने की योजना बनाई थी। इस योजना में धार्मिक नगरी को भव्यता देने का प्रावधान रखा गया था, लेकिन यह योजना ख्याली पुलाव साबित होकर रह गई। योजना के तहत चंबल नदी के घाटों को विकसित करना व छतरियां बनाना शामिल था। ठेकेदार ने पुराने चबूतरों पर ही छतरियां बना दी जो पानी में बह गई।
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