क्षेत्र के किसानों द्वारा सैकड़ों बीघा में टमाटर की खेती कर रखी है, लेकिन वर्तमान में टमाटर का भाव 2 से 3 रुपए किलो होने के कारण किसानों द्वारा लगाए गए हजारों बीघा के टमाटरों को तोडऩे व मंडी तक लाने का किराया भी नहीं मिल पा रहा है।
इसका सबसे बड़ा कारण मंडी में प्रदेश व बाहर के व्यापारी टमाटर खरीदने के लिए नहीं आ रहे हैं। टमाटरों के भाव देखकर उनके माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती है। किसानों ने बताया कि हमने इस बार यह सोचकर टमाटर की खेती की थी कि अबकी बार टमाटर का भाव अच्छा रहेगा। धरती पुत्रों ने टमाटर की खेती कर यह सपना संजोया था कि इस बार टमाटर बेचकर अपना कर्जा चुकाएंगे और कुछ आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
लेकिन इस बार टमाटर के भाव गिरने से धरती पुत्रों को भारी झटका लगा है। टमाटरों के भाव दो रुपए से तीन रुपए किलो रहने से उनकी मजदूरी भी नहीं निकल रही है। जबकि महंगे भाव से बीज, खाद्य व दवाइयां डालकर अपने पसीने से फसल को पैदा किया था। इसके बावजूद भाव नहीं होने के कारण इस बार धरती पुत्रों की आंखों से आंसू बह निकले हैं। उन्होंने क्षेत्र में हजारों बीघा में टमाटर की खेती की थी। कई किसान गोशाला में टमाटर डालकर धर्म कमा रहे हैं।
टमाटर मंडी के आड़तिया व सब्जी मंडी के व्यापार मंडल के महामंत्री जगदीश सैनी ने बताया, इस बार टमाटर की बंपर पैदावार के बावजूद बाहर के प्रदेशों में टमाटरों की मांग नहीं होने के कारण इस बार टमाटरों के भाव दो से तीन रुपए तक ही रह गए हैं। वहीं गोभी व अन्य सब्जियों के भाव भी पैदावार होने के बावजूद कम दाम पर बिक रही है।
पूरा परिवार लगता है सब्जियां तोडऩे में किसानों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा, टमाटर व सब्जियां तोडऩे के लिए प्रात: 5 बजे से ही परिवार के सभी सदस्य और कुछ मजदूरों को लगाकर टमाटर तुड़वाए जाते हैं। जिससे उनकी परिवार की मेहनत तो नहीं मिलती, जबकि आने वाले मजदूरों को मजदूरी भी नहीं प्राप्त होती है। कई बार मंडी लाने पर किराया भी सही ढंग से नहीं मिल पाता है।
यह है सब्जियों व टमाटर के भाव टमाटर 3 से 4 रुपए किलो, धनिया 10, मिर्ची 8 से 10, बैंगन 2, मूली 4, लोकी 3, मटर 28, चुकन्दर 10 से 12, गोभी 5 से 7, हरा प्याज 5, लाल प्याज 10, पालक 5 रुपए किलो ही बिक रहे हैं।
प्रदेश से बाहर के व्यापारी मंडी में नहीं आने के कारण सब्जियों के भावों में बिल्कुल मंदी पड़ी है। किसानों को इस बार बहुत बड़ा नुकसान होने के साथ सब्जियों की लागत तक नहीं मिल रही है। – सूरज नारायण शर्मा, अध्यक्ष, कृषि उपज मंडी, बस्सी