मुकेश अंबानी अपने करोबारी साम्राज्य को तीनों बच्चों में बांट रहे हैं। उन्होंने अपने बिजनेस को कुछ इस तरह डिजाइन किया कि वे तीनों बच्चों में बराबर बांटा जा सके। खास बात यह है कि अंबानी ने अपने दोनों बेटों के साथ-साथ बेटी को भी बराबरी की जिम्मेदारी सौंपी है।
यह भी पढ़ें – मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी बन सकती हैं रिलायंस रिटेल की चेयरपर्सन, जल्द हो सकती है घोषणा इस जिम्मेदारी और उत्तराधिकारी के जरिए ये दिग्गज कारोबारी दुनिया को अहम संदेश दे रहा है कि बेटा और बेटी दोनों समान हैं। आम तौर पर बिजनेस का उत्तराधिकारी बेटे को समझा जाता है, लेकिन मुकेश अंबानी ने ना सिर्फ इस फर्क को खत्म किया बल्कि ये संदेश भी दिया कि शादी के बाद भी बेटी पराई नहीं होती।
एक कार्यक्रम में मुकेश अंबानी ने कहा था कि, अब नई पीढ़ी लीडरशिप की जिम्मेदारियों के लिए तैयार है। हमें उन्हें गाइड करना चाहिए, उन्हें सक्षम बनाना चाहिए और उनका उत्साह बढ़ाना चाहिए। हमें आराम से बैठकर नई पीढ़ी को हमसे बेहतर परफॉर्म करते देखना चाहिए और उनकी सराहना करनी चाहिए।
इसी तरह ईशा अंबानी को रिलायंस रिटले की बागडोर सौंपने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। रिटेल सेक्टर में भी रिलायंस की धमक किसी से छिपी नहीं है। रिलायंस के इस सेक्टर अब उनकी बेटी ईशा संभालेंगी।
आकाश और ईशा अंबानी को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपने के साथ ही अब छोटे बेटे अनंत अंबानी के लिए भी मुकेश अंबानी ने खास प्लान बनाया है। रिलायंस कारोबार के तीसरे बड़े हिस्से की कमान अनंत के हाथ में होगी। इसके तहत उन्हें पारंपरिक पेट्रोकेमिकल, रिफाइनरी व ग्रीन एनर्जी सेक्टर सौंपने की योजना है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज को प्रमुख रूप से तीन बड़े हिस्सों में बांटा गया है। पहला- डिजिटल, दूसरा- रिटेल और तीसरा- रिफाइनिंग एंड पेट्रोकेमिकल्स में बंटा हुआ है।
रिटेल और डिजिटल बिजनेस के लिए पहले से ही पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी कंपनियां बनी हुई हैं। वहीं पेट्रोकेमिकल व रिफाइनिंग बिजनेस पैरेंट कंपनी में आता है। वहीं ग्रीन एनर्जी का नया बिजनेस भी पैरेंट कंपनी के पास है। इतना ही नहीं तीनों बिजनेस की वैल्यू भी बराबर है।
दरअसल मुकेश अंबानी ने अपनी पीढ़ी के दौरान हुए संपत्ति विवाद से बड़ी सीख लेते हुए, अपने रहते ही कारोबार को सही तरीके से बांटने और उत्तराधिकारी तय करने का फैसला लिया है। पिता के 2002 में निधन के बाद दोनों भाइयों में वर्चस्व की लड़ाई ने पूरे देश के साथ दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। हालांकि बाद में मां कोकिलाबेन अंबानी के दखल से मामला सुलटाया जा सका।
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