नर्इ दिल्ली। मोहाली की एक निचली अदालत ने शुक्रवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह व 17 अन्य को दस साल पुराने भ्रष्टाचार के मामले से बरी कर दिया। यह मामला एक कीमती भूमि के हस्तांतरण से जुड़ा हुआ है। अन्य बरी किए गए लोगों में पंजाब विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष केवलकृष्ण व दो पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। इन तीनों की मौत हो चुकी है।
ये भी पढ़ेंः- आज से सस्ते हुए फ्रिज और वॉशिंग मशीन समेत 50 से ज्यादा सामान,आपको होगा बड़ा फायदा यह है मामला यह मामला पंजाब विधानसभा की सिफारिश पर राज्य सतर्कता ब्यूरो द्वारा पंजीकृत किया गया था। इसमें अमृतसर सुधार ट्रस्ट की 32.1 एकड़ की जमीन को एक निजी रिअल्टर को स्थानांतरित करने के लिए छूट देने में घोटाले का आरोप लगाया गया था। विशेष न्यायाधीश जसविंदर सिंह ने सतर्कता ब्यूरो द्वारा दाखिल एक समापन रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए आरोपियों को आरोपों से मुक्त करने का आदेश दिया। अमरिंदर सिंह अपनी पत्नी प्रनीत कौर के साथ अदालत में मौजूद थे।
ये भी पढ़ेंः- 2021 में तैयार होगी देश की पहली स्मार्ट सिटी, इतने हजार करोड़ का आएगा खर्च सीएम का ट्वीट उन्होंने कहा, “अमृतसर सुधार ट्रस्ट मामले में एक दशक के बाद आखिरकार न्याय मिला है। यह साबित हुआ है कि आरोप राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित थे।” मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, “विरोधियों के खिलाफ इस तरह के प्रेरित कार्रवाई के लिए राजनीति में कोई जगह नहीं है। सर्वशक्तिमान ईश्वर और मेरी कानूनी टीम का धन्यवाद।” सतर्कता ब्यूरो ने मोहाली पुलिस थाने में 11 सितंबर, 2008 को मामला दर्ज किया था।
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सतर्कता ब्यूरो भी दे चुकी है क्लीन चिट इसने अक्टूबर 2016 में इसे रद्द करने की रिपोर्ट दाखिल की थी, उस दौरान अकाली सरकार राज्य की सत्ता में थी। इससे पहले सर्तकता ब्यूरो ने 1,144 करोड़ रुपये के लुधियाना सिटी सेंटर घोटाला मामले में अमरिंदर सिंह, उनके बेटे रनिंदर सिंह व अन्य को क्लीन चिट दे दी थी।
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