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बीजेपी के नेता बात करेंगे तो उनसे भी करूंगा, किसी पार्टी में शामिल नहीं होऊंगाः रघुराम राजन

जयपुर लिटरेचर फे‌स्टिवल के पहले दिन गुरुवार को पूर्व रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर रघुराम राजन ने कहा कि भारत मौजूदा विकास दर के हिसाब से 2047 तक विकसित देश नहीं हो पाएगा। हालांकि देश में इस वक्त दो भारत हैं। एक अभी से विकसित है और दूसरा खाना खाने के लिए भी सरकार के पैकेट का इंतजार करता है। राजस्‍थान पत्रिका के जनार्दन पांडेय से बातचीत में उन्होंने देश की आर्थिक, राजनीतिक और खुद पर उठने वाले सवालों के जवाब दिए-

Feb 03, 2024 / 09:49 am

Janardan Pandey

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रघुराम राजन का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

सरकार दावा कर रही है 2047 तक भारत विकसित देश बन जाएगा। आपका क्या आंकलन है?

मौजूदा विकास दर 6% से 7% इसे अगले 23 साल तक बरकरार रखना बेहद कठिन है। अगर इसे बरकरार रखेंगे तब भी हम विकसित देश नहीं बन पाएंगे। अगर हम उत्पादन गति को 6% से बढ़ाकर 14% तक भी ले जाते हैं तब भी भारत की पर कैपिटा 10 हजार डॉलर तक ही जाएगी। यह फिलहाल चीन से भी कम है। कई लोग तो ये भी दावा कर रहे हैं कि 2025 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन जाएगा। लेकिन इसका कोई रोडमैप नहीं है।
https://youtu.be/g6sA8UhdQ5o
आपके हिसाब से भारत को विकसित बनाने का रोडमैप क्या है?

इसके बारे में हमारी नई किताब ‘ब्रेकिंग द मोल्डः रीइमेजिनिंग द इकोनॉमिक फ्यूचर’ में विस्तार से चर्चा है। यह कल्पना एजुकेशन और हेल्‍थकेयर को सुधार कर साकार की जा सकती है। मौजूदा हालात ऐसे हैं कि सरकारी स्कूल से पढ़े 5वीं के बच्चे दूसरी कक्षा का सामान्य जोड़-घटना-गुणा-भाग नहीं कर पा रहे हैं। जबकि नौकरियां स्किल्ड लोगों को ही मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक देश की करीब 35 करोड़ आबादी 60 साल से अधिक होगी। तब क्या अवसर होगा?

नहीं, इसीलिए हमें अभी सुधार करनी होगी। विदेशी कंपनियां आज भारत में सलहाकार, लीगल सलाहकार ढूंढने आ रही है। 24 साल बाद की हालत का पता नहीं। देश में आज भी न्यूट्रिशियन की समस्या है। बच्चे कुपोषित हैं। बिना इनसे निपटे हम विकसित भारत के बारे में नहीं सोच सकते।
हाल ही में एक डायलॉग मशहूर हुआ कि लग्जरी कार पर 7% का ब्याज लेकिन ट्रैक्टर पर 12%, आपकी क्या राय है। क्या सरकारी नीतियों में कोई खामी है?

इस वक्त देश में दो भारत रहता है। एक भारत ऐसा है जिसकी उत्पादन गति चीन से तेज है। कुछ लोगों के लिए चीजें बहुत आसान है। लेकिन दूसरा भारत भी है, जो अब भी दो वक्त की रोटी के लिए सरकार के फ्री सुविधाओं पर आश्रित है। अहम बात ये है कि दूसरे भारत की संख्या 80 करोड़ से ज्यादा है, ऐसा खुद सरकार ही कहती है।ऐसे में पहले भारत के लिए यह कह सकते हैं कि चलो किसी का तो काम बन रहा है। लेकिन दूसरे वाले भारत को रोजगार देने की जरूरत है। उसे नीचे से उठाकर ऊपर लाने की जरूरत है।
आप जिस दूसरे भारत को उठाने की बात कह रहे हैं, उसी के लिए तो टैक्‍स लिया जाता है। क्या टैक्स का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा?

दिल्ली सरकार, तमिलनाडु सरकार, केरल सरकार ने स्कूलों और हेल्‍थकेयर पर काम किया है। वहां की जनता इसे देख रही है। वहां के टैक्‍सपेयर ऐसी बात नहीं करेंगे। हमें डिसेंट्रलाइजेशन पर जाना होगा। सुविधाओं के केंद्रीकरण से विकास का रास्ता नहीं निकलता।
…लेकिन सरकार का लगातार दावा है कि एजुकेशन और हेल्‍थकेयर की बुनियाद सुधर रही है।

देखिए, बड़ी-बड़ी इमारतें बनाने से कुछ नहीं होगा। जब तक कि उन इमारतों से नौकरियां सृजित नहीं होती। आईआईटी-आईआईएम से कितने ही बच्चे निकलते हैं। हमें बहुत बड़ी तादाज में उतने ही स्किल्ड बच्चों की जरूरत है। थोड़ी-बहुत बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। अगर सच में हमें तेजी से विकास करना है तो सरकारी स्कूलों और सरकारी अस्पतालों पर काम करना होगा। हमें रेस्टोरेंट में काम करने वाले, छोटी-छोटी दुकानों पर काम करने वालों को स्किल्ड करने की जरूरत है। ये हमें आगे ले जाने में बहुत मदद करेंगे।
आपके बारे में कहते हैं आप मौजूदा सरकार की आलोचना करते हैं। आप कांग्रेस जॉइन करने वाले हैं?

मैंने हाल ही में रेवंत रेड्डी से बात की। मैं तमिलनाडु सरकार में सलाहकार हूं। उद्धव ठाकरे व अन्य नेता भी मुझसे बात करते हैं। अगर बीजेपी मुझसे बात करना चाहेगी या फिर बीजेपी के नेता मुझसे बात करना चाहेंगे तो मैं जरूर करूंगा। मैं भारत के लिए काम करता हूं। मुझे अपने देश को आगे बढ़ाना है। मेरा किसी पार्टी से दुराव या लगाव नहीं।
अगर कोई खुलकर अपनी बातें रख रहा है, तो उसके पीछे लोगों को लगा दिया जाता है। बतौर अर्थशास्‍त्री मुझे देश में चल रही चीजों पर जब जो नजर आता है वो मैं बोलता हूं। उसे किस रूप में देखा जाएगा, इस पर मेरी कोई टिप्पणी नहीं है। मैं किसी पार्टी को जॉइन नहीं करने वाला हूं। लेकिन जो भी देश आगे बढ़ रहे हैं, वहां फ्री स्पीच, लोकतंत्र को कमजोर नहीं किया गया। इसको बल देने से ही हम आगे बढ़ेंगे।
आप लोकतंत्र की चर्चा कर रहे हैं। हाल ही में कई नेताओं ने कहा कि सरकार ईडी का सहारा लेकर दूसरे नेताओं पर हमला कर रही है।

इलेक्‍शन के ठीक पहले नेताओं के पीछे ईडी को लगाना और नेताओं को जेल में डालना, यह ठीक नहीं है। ऐसा करने से चुनाव में विकल्प खत्म हो जाते हैं। इससे देश की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित होती है। क्योंकि यह मामला सिर्फ किसी एक राज्य से जुड़ा हुआ नहीं है। यह पूरे देश के लिए हम सबके लिए अहम है।

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