यही वजह है कि करेंसी को लेकर आरबीआई भी काफी सख्त है। कई बार नोट के अनफिट होने की वजह से भी लोगों बैंकिंग आदि कामों में परेशानी होती है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों से कहा है कि वे हर तीन महीने में सटीकता और स्थिरता के लिए अपनी नोट छंटाई मशीनों का परीक्षण करें।
यही नहीं इसके साथ ही आरबीआई ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि, प्रिटेंड नोट तय मापदंडों के अनुसार हैं या नहीं इसकी भी बारीकी और सटीकता के साथ जांच की जाए और इसकी रिपोर्ट भी आरबीआई को समय-समय पर भेजी जाए।
क्या होता है फिट और अनफिट नोट?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक नोटों को दो श्रेणी में रखा गया है। एक फिट नोट और दूसरे अनफिट नोट।
ये है फिट नोट
– आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक एक फिट नोट वह होता है जो जेन्यूइन (genuine) हो
– क्लिर यानी साफ सुथरी हो ताकि इसके वैल्यु का आसानी से पता लगाया जा सके
– जो रीसाइक्लिंग के लिए उपयुक्त हो।
क्या है अनफिट नोट?
– अनफिट नोट वह है जो अपनी फिजिकल कंडीशन के कारण रीसाइक्लिंग के लिए उपयुक्त नहीं है।
– कई अनफिट नोट चेन ऐसे हैं जिसे भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से फेजवाइज समाप्त कर दिया गया
– नोट प्रोसेसिंग मशीन/नोट सॉर्टिंग मशीन समय-समय पर प्रामाणिकता की जांच करेगी।
– कोई भी नोट जिसमें असली नोट की सभी विशेषताएं नहीं पाई जाती हैं, उसे मशीन की ओर से संदिग्ध/अस्वीकार के तौर पर क्लासिफाइड किया जाएगा।
– बैंकों को हर तीन महीने में करेंसी नोटों की फिटनेस रिपोर्ट RBI को भेजनी होगी।
– बैंकों को अनुपयुक्त पाए गए नोटों की संख्या और उचित मेंटेनेंस के बाद फिर से जारी किए जा सकने वाले नोटों के बारे में RBI को जानकारी देना होगी।