ऐसा है सिस्टम
इसके जरिए डीजल, पेट्रोल और सीएनजी कारों में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड मोटर लगाई जाती है और कारों में बैटरी फिट की जाती है। इस टेक्नोलॉजी को रेट्रोफिटिंग भी कहते हैं। इसके बाद कार को सीएनजी, पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ इलेक्ट्रिक मोटर से भी चलाया जा सकता है।
देश में केपीआईटी टेक्नोलॉजी ने रेवोलो नाम का प्रोडक्ट बनाया है। इसके अंदर 1 इलेक्ट्रिक मोटर है जो इंजन फैन बेल्ट से कनेक्ट की जाती है। लिथियम आईओएन बैटरी से कनेक्ट करके आसानी से चार्ज किया जाता है। इलेक्ट्रिक मोटर डीजल और पेट्रोल इंजन के क्रैंकशाफ्ट को ताकत देता है, इसके जरिए ईंधन की खपत कम होने लगती है। फ्यूल एफिशियंसी लगभग 35 प्रतिशत ज्यादा और एमिशन 30 प्रतिशत कम हो जाती है। इसके साथ ही कई और कंपनियां भी इलेक्ट्रिक किट दे रही है। टारा इंटरनेशनल की इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड रेट्रोफिटिंग किट के जरिए कार मेंटेनेंस 60 प्रतिशत तक कम हो सकता है। इसके लिए 2 फीट या 3 फीट ब्लैकबॉक्स, मोटर, चार्जर, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम और मोटर कंट्रोलर मिलता है।
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कितना होगा खर्च
इस सिस्टम को लगाने के लिए कारों में 80 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है।
देश में सरकार ने पुरानी कारों में इस सिस्टम को इंस्टॉल करने की मंजूरी दी है। 1 जुलाई, 1990 के बाद बनी गाड़ियों में ये सिस्टम लगाया जा सकता है।