लाउड कलर्स-
कई लोगों को पीले, नीले, ऑरेंज या मैजेंटा जैसे रंग पसंद नहीं होते स्पेशली कार में।तो अगर आपकी गाड़ी ऐसे कलर्स की है तो बहुत हद तक पॉसिबलिटी है कि खरीदार ढूंढने के लिए आपको ऊपर वाले की दुआओं की जरूरत पड़े।
वारंटी पीरियड खत्म हो जाए तो-
कार की एक्सटेंडेड वारंटी भले ही आपको कॉस्टली अफेयर लगता हो लेकिन कार बेचने के वक्त ये वड़ा काम आता है। गाड़ी अगर वारंटी पीरियड में हो तो उसकी अच्छी कीमत मिल जाती है।
इंश्योरेंस कवर-
कार का इंश्योरेंस न हो या जरूरत पूरी करने भर का न हो तो लोग गाड़ी को खरीदने से हिचकते हैं। बेहतर है कि गाड़ी को बंपर टू बंपर इंश्योर कराएं।
मोडिफाई होने पर
अगर गाड़ी को मोडिफाई कराया जाता है तो भी उसकी रीसेल वैल्यू पर नेगेटिव असर पड़ता है। जरूरी नहीं कि आपकी पर्सनल च्वॉयस किसी और को पसंद हो। इसलिए गाड़ी को मोडिफाई कराने से पहले जरा सोंचे।
सर्विस रिकॉर्ड और एक्सीडेंट
अगर गाड़ी का एक्सीडेंट हो चुका हो तो गाड़ी की कीमत मिलना बेहद मुश्किल होता है। इसके अलावा अगर आपके पास गाड़ी के सर्विस रिकॉर्ड एवेलेबल हैं तो लोगों को सुकून रहता है।आपको ऐसी कंडीशन में गाड़ी की बढ़िया कीमत मिल सकती है।तो सिर्फ वर्तमान ही नहीं सर्विसिंग आपकी गाड़ी के भविष्य को भी सुरक्षित करती है।