इसके अलावा मार्च 2022 तक नुंगमबाक्कम और लैंग्स गार्डन रोड पर दो सीवेज उपचार संयंत्रों के बनने की उम्मीद है। मेट्रोवाटर ने सभी चिन्हित स्थानों में से 80 प्रतिशत पर सीवेज इंटरसेप्टर भी लगाएं है। लेकिन कई कार्यकर्ताओं का मानना है कि नदी में सीवेज और कचरे के अवैध डंपिंग को रोकने के लिए एक फुलप्रूफ तंत्र के अभाव में इन सभी प्रयासों का कोई फायदा नहीं है। मेट्रोवाटर के एक अधिकारी ने बताया कि पेरुंगुड़ी और मोग्गपेर के पंपिंग स्टेशनों में हर दिन कम से कम 100 निजी लॉरी सीवेज खाली करती हैं।
लेकिन उनमें से कुछ लॉरी खर्च बचाने, लंबी दूरी तय करने और डीजल की बचत की वजह से अवैध तरीके से नदी में ही डंप कर देते हैं। मोग्गपेर निवासी वी. उमानाथ ने बताया कि दैनिक आधार पर सीवेज लॉरी गर्ग रत्नीनम रोड पर रूक कर नदी में डंप करते हैं। अगर यह मामला कुछ दिनों तक मीडिया में प्रकाशित होता है तो लॉरी चालक इसे खाली प्लॉट्स में डंप कर चले जाते हैं।
चेन्नई मेट्रोवाटर का एक जीपीएस सिस्टम के तहत सभी लॉरी मालिकों और विक्रेताओं के लिए एक आवेदन विकसित करने का प्रस्ताव अभी भी लंबित है। तिरुवल्लूर जिला कलक्टर ने हाल ही में लॉरी मालिकों के साथ बैठक कर नदी में सीवेज डंप करते पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी। बावजूद इसके किसी प्रकार का असर नहीं दिख रहा है।