सूरज को स्नान कराना है, धरती को भी नहलाना है, जो मन से निकले उमड़-घुमड़, उस नदी को आज बहाना है, स्वच्छता की ज्योत जगाना है। जहां स्वच्छता रहती है, वहीं स्वस्थता व स्वर्ग का निवास रहता है। जहां अस्वच्छता है, वहीं पर नरक का निवास है। स्वच्छता हम सबके तन व मन की खुशी के लिए लिए बहुत जरूरी है। स्वच्छता से जीने वाला सभी जगह आदर पाता है। स्वच्छता अनैच्छिक नहीं अपितु स्वेच्छिक कार्य है जिसे हम सबको मिलकर करना चाहिए।
धीर-वीर-गंभीर, साहसी, निर्भीक बनकर स्वच्छता की शुरुआत यदि हम खुद से करें, तो घर,समाज, नगर, उद्यान, शहर, राज्य, राष्ट्र स्वत: ही स्वच्छ व सुंदर बन सकता है। सर्वधर्म में पूजा करने से पूर्व जैसे तन, मन व स्थान को शुद्ध किया जाता है, वैसे ही हमें बाहर की स्वच्छता के साथ भीतरी शुद्धता को भी अपनाना चाहिए। हमें स्वर्ग की अपेक्षा न रखते हुए स्वच्छता को अपनाकर मातृभूमि को ही स्वर्ग बनाना चाहिए। मुनि ने कहा पटाखे फोडऩे से हमें आठ प्रकार का पाप लगता है-लक्ष्मी, सरस्वती व दुर्गा का अपमान होता है। कागज जलने से ज्ञान का अनादर होता है।
जीवों के अंग आदि जल जाते हैं। जीव भयभीत होकर मर जाते हैं। पटाखे फोडक़र आनंद लेकर हम दु:ख को आमंत्रण देते हैं। जीवों की अकाल मृत्यु होने से हम भी अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं। अग्नि में जीव जलने से हमारा अपयश, अनादर बढ़ता है, मान-सम्मान घटने लगता है।
पटाखे फोडऩे से नींद, पढ़ाई व शांति में विघ्न होने पर हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यों में भी विघ्न-बाधा आती रहती है। प्रदूषण फैलने से बीमारियां आती हंै। इस प्रकार से होने वाले अपराधों को जानकर समस्त विद्यार्थियों ने फटाखे नहीं फोडऩे का संकल्प लिया। साथ ही असहायों की सहायता करने की सीख भी ली। इस दौरान विधायक शेखर बाबू ने मुनिगण से आशीर्वाद लिया। रविवार 14 अक्टूबर को राजेन्द्र भवन में शिविर सवेरे 9.30 बजे से ‘सपनों के चक्कर में जीना भूल गए’ विषयक युवा क्रांति कार्यक्रम होगा।