बैठक में कांग्रेस के आला नेता दिनेश गुंडुराव, तमिलनाडु प्रदेशाध्यक्ष केएस अलगिरि व विधानसभा में विधायक दल नेता केआर रामसामी उपस्थित थे। डीएमके ने स्पष्ट कर दिया था कि वह २२ सीटों से ज्यादा नहीं दे सकती। लेकिन अंत में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फोन पर स्टालिन से संपर्क कर २५ सीटों की डील को फाइनल कराया। इस वार्ता में सांसद कनिमोझी ने भी मुख्य भूमिका निभाई। देर रात की सफल वार्ता के बाद कांग्रेस महासचिव व तमिलनाडु प्रभारी दिनेश गुंडुराव, केएस अलगिरि को डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने रविवार को सीट समझौते का पत्र दिया। उस वक्त लोकसभा सांसद कनिमोझी और विधायक पीके शेखर बाबू भी साथ थे।
धर्मनिरपेक्षता की जीत जरूरी
सीट समझौते के बाद पत्रकारों से वार्ता में प्रदेशाध्यक्ष अलगिरि ने कहा कि हम राज्य में धर्मनिरपेक्षता कायम रखने के लिए पुरजोर प्रयास करेंगे। डीएमके के साथ सीट समझौता संतोषजनक रहा जो हर्ष का विषय है। भाजपा का विकल्प केवल कांग्रेस ही है। धर्मनिरपेक्षता बनी रहे इसके लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाएंगे। कम सीटें आवंटित होने पर उनका जवाब था कि यह राजनीति का स्वाभाविक पहलू है। सीटें राजनीतिक पार्टी के कद का आधार नहीं हो सकती। डीएमके नीत धर्मनिरपेक्ष गठबंधन चुनाव में बड़ी जीत हासिल करेगा।