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चेन्नई

डिजीटल उपवास से स्मार्टफोन व सोशल मीडिया की लत से मिलेगा छुटकारा

इंटरनेट ने लोगों को तमाम सहूलियतें दी हैं तो नई-नई परेशानियों को भी जन्म दिया है। इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिताने वाले अनिद्रा और बेचैनी के शिकार होते जा रहे…

चेन्नईJun 19, 2019 / 01:38 am

मुकेश शर्मा

Get rid of smartphones and social media addiction from digital fast

Get rid of smartphones and social media addiction from digital fast

चेन्नई।इंटरनेट ने लोगों को तमाम सहूलियतें दी हैं तो नई-नई परेशानियों को भी जन्म दिया है। इंटरनेट पर ज्यादा वक्त बिताने वाले अनिद्रा और बेचैनी के शिकार होते जा रहे हैं। इससे बचने के लिए बड़ी संख्या में लोग हफ्ते में एक दिन डिजिटल उपवास रख रहे हैं। इसके तहत सप्ताह में एक दिन डिजीटल दुनिया को छोडऩा पड़ता है।


डिजीटल मार्केटिंग एजेंसी इकोवीएमई प्रमुख सौरव जैन ने ‘डिजीटल उपवास’ नामक वेबसाइट बनाई है जिसमें वे संबंधित व्यक्ति के बारे में लोगों से पहले सर्वे कराते हैं कि मोबाइल और सोशल मीडिया की लत के शिकार हैं या नहीं। अगर सर्वे कराने के बाद उक्त व्यक्ति मोबाइल व सोशल मीडिया का आदी पाया जाता है तो उसे डिजीटल उपवास चैलेंज कराया जाता है जिसमें सप्ताह में एक दिन मोबाइल और सोशल मीडिया से दूर रहना पड़ता है।

क्या है डिजीटल उपवास

डिजीटल उपवास का मतलब यह है कि आईपैड, आईफोन, लैपटॉप और पीसी पर फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से दूर, बिना किसी फोटो या स्टेटस को अपलोड किए या दूसरे की पोस्ट पर कॉमेंट्स या लाइक किए बिना रियल लाइफ और असली दोस्तों के टच में रहने की कोशिश करना है। ऐसा देखा गया है कि सोशल मीडिया के शिकार लोगों को ही मनोवैज्ञानिक डिजीटल उपवास की सलाह देते हैं। लोग इस सलाह को मान भी रहे हैं।

इस सर्वे के बारे में सौरव बताते हैं कि सर्वे के दौरान उनसे कुछ मोबाइल और सोशल मीडिया से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं इससे हम आंकते हैं कि यूजर कितनी बार, कितनी देर सोशल मीडिया पर रहता है। मोबाइल और सोशल मीडिया पर उसकी गतिविधियों के बारे में जानकारी एकत्रित की जाती है। यह जानकारी यूजरों को भेजी जाती है। जो फिर खुद सब विस्तार से देख सकता है। फिर उन्हें डिजीटल उपवास चैलेंज लेने की सलाह दी जाती है।

सौरव ने बताया कि सर्वे की शुरुआत में ही ४५०० लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और ४०० से अधिक लोगों ने डिजीटल उपवास चैलेंज लिया। सर्वे शुरू करने के पहले सप्ताह में सर्वे के दौरान ४२ प्रतिशत लोगों ने माना कि वे इंटरनेट और मोबाइल की लत के शिकार हैं।

स्टेनली सरकारी अस्पताल के प्रोफेसर ऑफ साइक्रेट्रिस्ट विभाग के डा. एलेक्जेंडर बताते हैं कि हमारे पास कई ऐसे केस आते हैं जिसमें सोशल मीडिया के इस्तेमाल के कारण लोगों की नींद और चैन उड़ चुकी है। लगातार मोबाइल के इस्तेमाल से लोगों की आंखों में खुजली, स्पॉन्डिलाइटिस, हाथ की उंगलियों में और कलाइयों में दर्द जैसी बीमारियां भी होने लगी हैं विशेषकर बच्चों के मामले अधिक हैं। अधिकतर मामले परीक्षा के समय आते हैं। हंलाकि उत्तर कोरिया और चीन जैसे आंकड़े नहीं हैं भारत में। इन दो देशों में लोग सबसे अधिक मोबाइल और सोशल मीडिया की लत के शिकार हैं।

सप्ताह में एक दिन को डिजीटल फ्री डे के तौर पर मनाएं

डिजीटलउपवासडॉटकॉम वेबसाइट के जरिए सर्वे से पता लगाया जा सकता है कि लोग फोन का कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सर्वे यूजर को उसकी स्मार्टफोन लत के बारे में जागरूक करता है और चैलेंज देकर सप्ताह में कम से कम एक दिन रविवार को बिना स्मार्टफोन के अपने परिवार, दोस्त और रिश्तेदारों के साथ बिताने की सलाह देता है। हफ्ते में एक दिन के उपवास के साथ खुद पर इस कंट्रोल को बरकरार रखने के लिए सप्ताह में एक दिन को डिजीटल फ्री डे के तौर पर मनाएं। इस दिन अपने फोन और इंटरनेट का कम से कम या इस्तेमाल ही न करें। इसके लिए वीकली ऑफ का दिन चुना जाए, ताकि आप कम से कम इस दिन परिवार के साथ अधिक समय गुजार सकें।

सौरव जैन

कैसे पता चले कि आप शिकार हो गए हैं?

जब आप बिना सोचे-समझे हर फोटो, स्टेटस को लाइक करने लगें।
आप कहां हैं, क्या कर रहे हैं? मिनट-मिनट पर इसका अपडेट करने लगें।
हर पल की फोटो अपलोड करने की आदत।
इंटरनेट यूज करने का टाइम धीरे-धीरे बढ़ रहा हो।
परिवार, दोस्त और जॉब तक को अनदेखा कर रहे हों।

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