अदालत ने कहा कि ऐसे मानवीय आधार के मामलों को अलग तरीके से देखने की जरूरत है। सभी मामलों को एक ही तराजू में तोलकर नहीं देख सकते। अदालत यह उम्मीद करती है कि अधिकारी इस मामले में चिकित्सा क्षतिपूर्ति दिलाने के लिए काम करेंगे।
ए. षणमुगम ने याचिका लगाई थी जिसमें कहा कि वित्त (पेंशन) विभाग उसे मेडिकल बिल के निपटारे में आनाकानी कर रहा है। अदालत से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए उसे राशि दिलाने की मांग की। न्यायालय ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर शेष राशि 2.16 लाख का भुगतान किया जाएं।