स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा पीपीई को पहना जाना डोनिंग की प्रक्रिया कहलाती है। इसी तरह उपयोग के बाद इसे हटाना डाफिंग होता है।
चेन्नई
Published: May 11, 2020 08:21:13 pm
चेन्नई. आआइटी एम के सिविल इंजिनियरिंग डिपार्टमेंट ने चेंगलपेट मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के साथ मिलकर डॉफिंग यूनिट के निर्माण और डिजाइन तैयार किया है। इस परियोजना को कार्पोरेट के सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत कार्पोरेट्स के वित्तिय सहयोग के साथ शुरू किया गया है। पीपीई किट को सुरक्षित रूप से हटाने के लिए डाफिंग यूनिट का प्रयोग किया जाता है। इससे वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा पीपीई को पहना जाना डोनिंग की प्रक्रिया कहलाती है। इसी तरह उपयोग के बाद इसे हटाना डाफिंग होता है।
जरूरी है प्रोटोकाल का पालन
इन दोनो प्रक्रियाओं में कुछ प्रोटोकॉल मानकों का पालन करना होता है। मौजूदा समय में कम संसाधनों के साथ इन यूनिटों निर्माण और स्थापना चुनौती है। आइआइटी एम के प्रो. कोशी वर्गीज और प्रो. अरुल जयचंद्रन ने चेंगलपेट मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की टीम के साथ ही अलग अलग क्षेत्रों के पेशेवरों की टीम के साथ मिलकर इस यूनिट की डिजाइन को तैयार किया। टीम में सीएमसीएच, पीडब्ल्यूडी, अकर्मा डिजाइन्स की आर्टिटेक्ट नंदिनी, अरुणिमा, आइआइटी एम स्टार्टअप ईपीएमसीआर के कविन कुमार और फ्रेब्रीकेटर, स्टीलटेक व मेटलस्कोप प्रा.लि. शामिल थे। सदस्यों ने ऑनलाइन सम्पर्क से इस परियोजना को पूरा किया। 6 मई को चेंगलपेट जिला कलक्टर जॉन लुई ने इसे मान्यता दी।
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