इस तरह के कपड़े से एन 95 मास्क, पीपीई किट, सर्जिकल मास्क और खाद्य सामग्री पैक करने के लिए बैग बनाए जा सकते हैं। कॉटन और पालिस्टर मिक्स कॉटन पर नैनोपार्टीकल्स मटेरियल की परत चढ़ाई जा सकती है। ये परत लगभग साठ बार की धुलाई में भी नहीं निकलेंगी।जल्द ही विभिन्न नैनोपार्टीकल्स साल्यूशन्स से कपड़ों पर परत लगाने का काम शुरु कर दिया जाएगा। मई के पहले सप्ताह तक ये परीक्षण के लिए उपलब्ध हो जाएंगे। स्टार्टअप मास्क निर्माता कम्पनी से कम कीमत(300 रुपए प्रति मास्क) के पांच लेयर मास्क निर्माण के लिए साझेदारी कर रहा है।
महामारी की जड़ को करेगा खत्म
म्यूज वीयरेबल्स ब्रांड के निर्माता कंपनी कॉन्ज्यूमेक्स के सीईओ के.एल.एन. साई प्रशांत ने नैनोपार्टीकल की परत लगे कपड़े की विशेषता के बारे में कहा कि यह कोरोना वायरस को निष्क्रिय कर इस महामारी को जड़ से ही खत्म करने में मदद करेगा। जैसे ही वायरस नैनोपार्टीकल्स के सम्पर्क में आता है, वायरस की संरचना को नैनो पार्टीकल्स स्थायी रूप से नष्ट कर देते हैं। इसका antimicrobial गुण लगातार वायरस और रोगाणुओं को नष्ट करता रहता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है। यह नॉन टॉक्सिक है जिससे इसका उपयोग पीपीई किट और मास्क के निर्माण के लिए किया जा सकता है।
ये नैनोपाटीकल्स वायरस को नष्ट कर देते हैं इसलिए मास्क पहनने वाले तक वायरस नहीं पहुंचेगा या अगर उसे संक्रमण है तो वो फैलेगा नहीं। ये कोटिंग प्रक्रिया बड़े स्तर पर की जा सकती है। ये मशीन सिर्फ प्रयोगशाला तक सीमित नहीं हैं, इसे व्यावसायिक स्तर पर टैैक्सटाइल फैक्ट्री में टैक्सटाइल फिनिशिंग प्रोसेस के साथ ही लगाया जा सकता है।
साई प्रशांत ने बताया कि अभी हमारे पास कुल नौ एक्टीवेटेड टैक्सटाइल पेटेंट है। इस वैश्विक महामारी से उबरने के बाद हम इसका दूसरे क्षेत्र में उपयोग की संभावनाएं तलाशेंगे। अभी इस कपड़े को जांच के लिए उचित लैब मेें भेजा जाएगा जिससे इन नैनोपार्टीकल्स की परत लगे कपड़ों और साधारण कपड़े पर कोरोना वायरस के क्षय होने के स्तर का परीक्षण किया जा सके। हमें सर्टिफिकेट मिलते ही इस कपड़े का निर्माण बड़े स्तर किया जाएगा। जिससे कोरोना फ्रंटलाइन वारियर्स की मदद की जा सके। आइआइटी मद्रास के इन्क्यूबेशन सेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. तमस्वती घोष ने स्टार्ट अप की सराहना की है।