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चेन्नई

जस्टिस आरमुगम जांच आयोग के आचरण पर जताई आपत्ति, सरकार के कहने पर हटाए सीसीटीवी कैमरे : अपोलो अस्पताल

– जयललिता की मृत्यु की जांच कर रहा आयोग

चेन्नईOct 26, 2021 / 07:06 pm

PURUSHOTTAM REDDY

चेन्नई/नई दिल्ली.

अपोलो अस्पताल ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को जस्टिस आरमुगम आयोग के आचरण को पक्षपाती बताते हुए सूचित किया कि तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार के कहने पर ही गोपनीयता के नाम पर सीसीटीवी कैमरे हटाए गए थे। हम जांच के खिलाफ नहीं हैं लेकिन आयोग के समक्ष पेश नहीं होना चाहेंगे जिसमें कोई मेडिकल एक्सपर्ट नहीं है। यह आयोग जे. जयललिता के मृत्यु की परिस्थितियों की जांच कर रहा है जिनका निधन 5 दिसम्बर 2016 को चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल में हुआ था।

गौरतलब है कि अपोलो अस्पताल की पूर्व याचिका पर जांच आयोग की कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रेल 2016 में रोक लगा दी थी। सत्ता परिवर्तन के बाद डीएमके सरकार ने अर्जी लगाई की रोक हटाई जाए। पार्टी ने चुनाव प्रचार में वादा किया था जांच पूरी कराई जाएगी।

पार्टी नेता ही नहीं पेश हुए
अपोलो अस्पताल के अधिवक्ता ने जस्टिस अब्दुल एस. नजीर और कृष्ण मुरारी की न्यायिक पीठ के समक्ष दलील दी कि कई राजनेता अभी तक जांच आयोग के सामने पेश नहीं हुए हैं जिनमें अन्नाद्रमुक नेता भी शामिल हैं। जयललिता का उपचार करने वाले चिकित्सकों को ही बार-बार तलब किया जाता है।

जांच आयोग में कोई चिकित्सक नहीं है जो चिकित्सीय पहलू को ठीक से समझ सके। आयोग का आचरण पक्षपातपूर्ण है और प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। तथ्य खोजो आयोग अपनी हद के बाहर कार्य कर रहा है। कुछ मौकों पर आयोग ने मीडिया में सूचनाएं भी उपलब्ध कराई हैं जिनसे अस्पताल की छवि बदनाम हुई है। लिहाजा, हम जांच आयोग के सामने पेश नहीं होंगे।

मेडिकल बोर्ड की मांग
अपोलो अस्पताल की ओर से कहा गया कि हम जांच रोकने की मांग नहीं कर रहे हैं लेकिन चाहते हैं कि ऐसे किसी की नियुक्ति की जाए जो कठोरता से दिशा-निर्देशों की पालना करे। आयोग की मदद के लिए मेडिकल बोर्ड हो। हम जांच को बौना साबित नहीं करना चाहते हैं। तमिलनाडु सरकार ने दलील दी कि आयोग को जांच पूरी करने दी जाए।

इसलिए हटे कैमरे
अस्पताल ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सीसीटीवी कैमरा फुटेज बंद करने का निर्देश तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार से मिला था। उस वक्त जयललिता उपचाराधीन थी। निजी गोपनीयता के बिन्दु पर हमको कैमरे बंद करने के आदेश हुए थे।

खुद ही जज तो नहीं बन गया
सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से आरमुगसामी जांच आयोग की कार्यप्रणाली पर ताज्जुब जताया कि काल्पनिक रूप आयोग स्वयं ही इस मामले का जज तो नहीं बन गया है या अम्पायर के रूप में स्वयं ही खेलने लगा हो।

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