पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. गुरमीतसिंह ने मुख्य भाषण में कहा भले गुरु नानक देव का जन्म ५५० साल पहले हुआ लेकिन उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। उनके सिद्धांतों की मान्यता न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में है। उन्होंने मानव को सही शांति की दिखाई। साथ ही उन्होंने गुरु नानक देव के जीवन के अनेक संस्मरण प्रस्तुत किए।
राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने कहा आधुनिक समाज में मूल्य प्रणाली स्थापित करने में गुरु नानक देव की शिक्षाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्ष १४६९ में जन्मे सिख धर्म के महान संत और संस्थापक गुरुनानक देव की शिक्षाओं को आज भी श्रद्धा के साथ याद किया जाता है। वे जाति-धर्म में विश्वास नहीं करते थे। उनका कहना था कि भगवान की कृपा से ही सब कुछ होता है, वही बेहतर जानता है कि हमारे लिए सही या गलत क्या है। इसलिए हमें बिना किसी सवाल किए उसके फैसले को स्वीकार करना चाहिए।
गुरु नानक देव ने कहा, मैं न तो हिंदू हूं और न ही मुस्लिम, भगवान का अनुयायी हूं। सिख धर्म में ईश्वर पुरुष या महिला नहीं, इसे केवल भीतर की ओर देखा जा सकता है। गुरु नानक देव ने स्पष्ट कहा कि केवल एक ही है जो सभी को देता है, हमें उसे नहीं भूलना चाहिए। गुरु ने सभी के प्रति सद्भावना रखने और सार्वभौमिक भाईचारे का संदेश दिया। राज्यपाल ने कहा धर्म केवल शब्दों की संगति नहीं बल्कि वास्तव में सभी पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से देखता है।
सत्य सिख धर्म की नींव है। हमें हमेशा बिना किसी डर के सच बोलना चाहिए। गुरु के सिद्धांत के अनुसार, सत्य की जीत असत्य को समाप्त करने या दबाने पर नहीं बल्कि सत्य द्वारा दृढ़ता से खड़े होने पर निर्भर है। गुरु नानक ने कहा कि कोई किसी और को नहीं बचा सकता, यह केवल गुरु ही है जो हमें सुरक्षा के लिए मार्गदर्शन देता है, और बचा सकता है। उसके द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करना होगा। राज्यपाल ने कहा गुरु नानक की तीन प्राथमिकताओं जिनमें दूसरों के साथ साझा करना, जरूरतमंदों की मदद करना तथा बिना शोषण या धोखाधड़ी के ईमानदारी से जीवन यापन करना तथा पवित्र नाम का जप करना यानी हर समय भगवान का स्मरण शामिल है का सभी को पालन करना चाहिए। उनके द्वारा बताई पांच बुराइयों से दूर रहना चाहिए जो भ्रम (माया) की ओर ले जाती हैं, इनमें ईगो, गुस्सा, लालच, आसक्ति और वासना। धन्यवाद कॉलेज प्रिंसिपल डा. एमजी रघुनाथन ने ज्ञापित किया।