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चेन्नई

काशी-तमिल संगमम से बन सकती है सनातन बनाम द्रविड़ दलों की स्थिति

संगमम में तमिलनाडु के लोगों को दिखाया जाएगा सनातन का व्यापक परिदृश्य

चेन्नईDec 11, 2023 / 04:49 pm

PURUSHOTTAM REDDY

काशी-तमिल संगमम से बन सकती है सनातन बनाम द्रविड़ दलों की स्थिति

काशी-तमिल संगमम से बन सकती है सनातन बनाम द्रविड़ दलों की स्थिति

चेन्नई.

काशी-तमिल संगमम के द्वितीय संस्करण की तैयारी शुरू हो चुकी है। आइआइटी मद्रास के आवेदन मांगने के साथ ही रेलवे ने विशेष ट्रेनों की घोषणा कर दी है। लोकसभा चुनाव के पहले यह शायद वह आयोजन होगा जिसके जरिए केंद्र सरकार तमिलनाडु में अपनी छवि को और मुखर करने की कोशिश करेगी। इसे सनातन का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है।

सनातन से जुड़े लोगों का मानना है कि विवादित बयान देकर लगातार सुर्खियों में बने रहने वालों नेताओं को इस संगमम में सनातन का एक व्यापक परिदृश्य देखने को मिलेगा, जिससे इनकी संकीर्णता दूर होगी और सनातन की समग्रता का आभास भी हो सकेगा। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बीते दिनों राजनीतिक दलों की तरफ से सनातन पर टिप्पणी के बाद से दक्षिण-उत्तर का विवाद सामने आया है। इसके बाद से सत्तारूढ़ दल भी किसी प्रकार का कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं दिखाई दे रहा है। वह भी काशी तमिल समागम के जरिए विरोधियों को उत्तर-दक्षिण के मिलन का संदेश देना चाहती है।

17 से 30 दिसम्बर तक चलेगा संगममकाशी का तमिलनाडु और तमिल भाषा से श्रद्धा और संस्कृति का नाता है। तमिलनाडु के लोग काशी आने, वास करने और यहां के देवालयों में दर्शन-पूजन को पूर्व जन्म का पुण्य फल मानते हैं। इससे पहले यह कार्यक्रम 2022 में हुआ था। इस बार इसका दूसरा संस्करण 17 से 30 दिसम्बर तक प्रस्तावित है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना है। तमिलनाडु के कुंभकोणम निवासी और काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टी के वेंकटरमन घनपाटी ने बताया कि काशी और तमिल की संस्कृति समान है। काशी में वहां के लोगों की बहुत आस्था है। तमिलनाडु से जब भी लोग आते हैं तो यहां गंगा स्नान के साथ काशी विश्वनाथ और विशाल नेत्रों वाली मां विशालाक्षी के दर्शन करते हैं। यह स्थान 51 शक्ति पीठों में से भी एक है। इनका महत्व कांची की मां कामाक्षी और मदुरै की मीनाक्षी के समान है।

हर गांव में काशीतमिलनाडु के हर गांव में काशी की बहुत महत्ता है। कावेरी में मां गंगा का संगम होता है। यहां से लोग दर्शन के लिए जाते है। बहुत सारे शिक्षा के लिए यहां पर विद्यार्थी और शिक्षक है। दोनों जगह की संस्कृति का आपस में जुड़ाव है। काशी तमिल संगम कार्यक्रम से लोगों के प्रति चेतना बढ़ी है। इस कार्यक्रम से काफी आर्थिक उन्नति हुई है। दोबारा फिर हो रहा है, इसे लेकर लोग काफी खुश है। काशी और तमिलनाडु के बीच एक शाश्वत संबंध सदा से विद्यमान रहा है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि अगर सनातन पर कोई नकारात्मक बात होती है तो उसकी सुर्खियां जरूर बनती है। लोग भूले नहीं इस कारण भी भाजपा इस मुद्दे को जीवित रखना चाहती हैं, जिससे आगे चलकर प्रचार में सहयोग मिलेगा। ऐसे कार्यक्रम तमिलनाडु से जुड़े रहने के लिए सनातन के महत्व और प्रभाव दिखाने का जरिया है।

शिक्षा और संस्कृति को पुनर्जीवित करना मकसदकार्यक्रम का मकसद शिक्षा और संस्कृति के दो प्राचीन केंद्रों वाराणसी और तमिलनाडु के जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करना है। आइआइटी मद्रास के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक वाराणसी के नमो घाट पर तमिलनाडु व काशी की संस्कृतियों के मिश्रण वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ अकादमिक आदान-प्रदान- सेमिनार, चर्चा, व्याख्यान भी होंगे।

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