मतदान को रोकने के लिए पीएमके कार्यकर्ताओं ने की हिंसा : वीसीके
-१०० से अधिक लोगों ने व्यक्तिगत रूप में याचिका दायर कर लगाया अधिकारों से वंचित किए जाने का आरोप
मतदान को रोकने के लिए पीएमके कार्यकर्ताओं ने की हिंसा : वीसीके
चेन्नई. अरियलूर जिले के पोनपरप्पी में मतदान के दिन कथित रूप से सवर्णाे के एक समूह द्वारा दलितों पर हमला और उनके बीस घरों को तहस नहस करने के मामले पर प्रतिक्रिया करते हुए वीसीके प्रमुख तोल तिरुमावलवन ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी सत्यब्रत साहू को एक पत्र लिखकर पुनर्मतदान कराने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएमके के १०० से अधिक सदस्यों ने २८१ मतदान केंद्रों के पास आदि द्रविडन (दलितों) के घरों पर हमला कर वहां पड़ी बाइक्स को जला दिया। हमले में बहुत से लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
उन्होंने कहा कि पीएमके सदस्यों ने यह हिंसा जातिवाद को लेकर की और गांव के लोगों को मतदान करने से भी रोका। तिरुमावलवन ने अपने पत्र के साथ दलित समुदाय के ९५ लोगों का व्यक्तिगत पत्र भी चुनाव अधिकारी को सौंपा। अपने व्यक्तिगत पत्र में दलितों ने आरोप लगाया कि हिंसा की वजह से वे लोग मतदान भी नहीं कर पाए। वीसीके महासचिव डी. रविकुमार ने कहा कि दलितों को मतदान से रोकने के उद्देश्य से ही पीएमके द्वारा ऐसा किया गया। इस प्रकार से गांव के २०० से अधिक मतदाताओं को उनके अधिकार से वंछित किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष १९९१ में जब हमने राजनीति में प्रवेश किया था तब से ऐसी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। पीएमके के कार्यकर्ताओं ने मतदान केंद्रों पर कब्जा जमा कर घरों को जला दिया, जो कि उनकी सामान्य रणनीति है।
उन्होंने कहा चुनाव अधिकारी द्वारा राज्य के १० मतदान केंद्रों पर फिर से चुनाव कराने की सिफारिश की गई है, जिनमें से ८ पर पीएमके कार्यकर्ताओं के कब्जा करने का आरोप है। इसी बीच वीसीके द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया करते हुए पीएमके नेता के. बालू ने कहा कि हिंसा में उनके कार्यकर्ताओं को भी चोट पहुंची है। पत्रकारों से बातचीत वार्ता में लगभग सभी लोग नशे में धुत्त थे। राज्य की सभी पार्टियों ने घटनास्थल का दौरा कर हिंसा की जानकारी ली। वीसीके कार्यकर्ताओं ने पत्थरबाजी की थी जिसके बाद ही पीएमके के कार्यकर्ताओं ने उनको दौड़ाया था। पीएमके कार्यकर्ताओं ने तो पुलिस को कॉल कर मामले की जानकारी भी दी थी।