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चेन्नई

राष्ट्र के आर्थिक विकास की चाबी है पोर्ट्स

राष्ट्र के आर्थिक विकास की चाबी है पोर्ट और समुद्री मार्ग। पोर्ट देश के आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। भारत के विदेशी व्यापार…

चेन्नईOct 08, 2018 / 12:09 am

मुकेश शर्मा

Ports of the nation's economic development key

Ports of the nation’s economic development key

चेन्नई।राष्ट्र के आर्थिक विकास की चाबी है पोर्ट और समुद्री मार्ग। पोर्ट देश के आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। भारत के विदेशी व्यापार का एक बड़ा हिस्सा समुद्री मार्ग के माध्यम से होता है। सीआईआई द्वारा मंगलवार को आयोजित पोर्ट कॉन्क्लेव-२०१८ में हिस्सा लेते हुए केन्द्रीय वित्त व जहाजरानी राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णन ने कहा कि मैरीटाइम क्षेत्र में आधारभूत ढाचे और सुविधाओं का विकास कर देश के आर्थिक विकास में और मदद की जा सकती है।

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ८.५७ लाख करोड़ की सागरमाला परियोजना को लेकर काफी गम्भीर है। इस योजना के अंतर्गत ५७७ परियोजनाओं पर कार्यान्वयन होना है जो वर्ष २०१५ में शुरू हुआ था और वर्ष २०३५ तक इसे पूरा होना है।

हमें इसके लिए पोर्ट के विस्तार, उसकी कनेक्टीविटी और तटीय समुदाय विकास पर ध्यान देना है। हमने काफी हद तक इस क्षेत्र में विकास किया है पर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता और नवीनीकरण की जरूरत है। सागरमाला परियोजना शुरू होने पर माल ढोने में कम खर्च आएगा। परियोजना के फलीभूत होने से देश के अंदर और बाहर भी माल वहन की लागत में कमी आएगी।
सागरमाला परियोजना शुरू होने से समुद्र तट के किनारे रहने वाले उन लोगों के जीवन में भी बदलाव आएगा जो केवल मछली पकडऩे पर आश्रित हैं।

इस मौके पर भारत सरकार के जहाजरानी मंत्रालय के संयुक्त सचिव कैलाश कुमार अग्रवाल ने कहा सागरमाला परियोजना में ४१ पीपीपी परियोजनाओं में निजी क्षेत्र से २० हजार करोड़ का निवेश किया गया है। इनकी मदद से ३६८ मीट्रिक टन क्षमता की संचालन सुविधा का निर्माण होना है। साथ ही उन्होंने बताया कि ६३२ किमी रेल लाइन बिछाई गई है और १३०० किमी रेल नेटवर्क वर्ष २०२० तक जोड़ लिया जाएगा। इसके अलावा २६६ किमी पोर्ट से जोडऩे वाला रोड बनाया गया है और वर्ष २०२० तक १६०० किमी रोड का निर्माण किया जाना है।


ओ. पन्नीरसेल्वम समेत सात विधायकों से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम और उनके समर्थक ६ अन्य विधायकों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। न्यायालय ने मुख्यमंत्री ई. के. पलनीस्वामी के विधानसभा में पेश विश्वासमत प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने के मामले में पन्नीरसेल्वम समेत ७ विधायकों से जवाब मांगा है।

तमिलनाडु विधानसभा में १८ फरवरी २०१७ को मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने विश्वासमत पेश किया था और मतदान हुआ था। मौजूदा उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम, मंत्री के. पांडियराजन, विधायक आर. नटराज, एस. सेम्मलै, एस. पी. षणमुगनाथन, एन. मणोरंजीतम, एस. एस. सरवणन, वी. सी. आरुकुट्टी, ओ. के. चिन्नराज, के. माणिक्कम और ए. मनोहरण ने सरकार के खिलाफ मतदान किया था।
एआईएडीएमके में रहते हुए पार्टी के विश्वासमत के खिलाफ मतदान करने पर इन विधायकों की योग्यता निरस्त किए जाने की मांग को लेकर डीएमके सचेतक चक्रपाणि और विधानसभा स्पीकर पी. धनपाल द्वारा अयोग्य ठहराए गए अठारह विधायकों की ओर से मद्रास उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गईं।

मद्रास उच्च न्यायालय ने २७ अपे्रल २०१७ को इन याचिकाओं पर फैसला दिया था कि विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार विधानसभाध्यक्ष का है, कोर्ट कोई निर्देश नहीं करेगी। डीएमके ने हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की।

टीटीवी दिनकरण के समर्थक नेता और अयोग्य घोषित किए गए विधायक पी. वेट्रीवेल व अन्य की ओर से भी ओपीएस समेत सात विधायकों के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। याची ने दलील दी कि मद्रास उच्च न्यायालय ने न्यायिक प्रावधानों की गहन जांच के बगैर ही आदेश दे दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकारते हुए विश्वासमत के खिलाफ मतदान करने वाले ओ. पन्नीरसेल्वम, के. पांडियराजन, आर. नटराज, एस. सेम्मलै, एन. मनोरंजीतम और ए. मनोहरण को नोटिस जारी करते हुए जवाब देने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई ३० अक्टूबर को होगी।

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