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चेन्नई

नन्हीं जान का दृष्टि कवच ‘शिशु नेत्र रक्षक’, अब तक 4 हजार से अधिक ऑपरेशन

गुरुप्रिया विजन रिसर्च फाउंडेशन कर रहा योजना का विस्तार

चेन्नईMay 30, 2024 / 02:21 pm

P S VIJAY RAGHAVAN

ROP in new born

चेन्नई. प्रि-टर्म (समय पूर्व) जन्मे बच्चे रैटिनोपैथी ऑफ प्रिमैच्योरिटी (आरओपी) से ग्रस्त हो सकते हैं। जन्म के तीस दिनों के भीतर अगर आरओपी की पहचान और उपचार नहीं हो तो शिशु का शेष जीवन अंधकारमय हो सकता है। इस गंभीर व्याधि के उपचार में लगीं महानगर की यातनाम नेत्र विशेषज्ञ डा. वसुमति वेदांतम का गुरुप्रिया विजन रिसर्च फाउंडेशन उन अभिभावकों के लिए आशा की किरण बन चुका है, जिनके आंगन में समय पूर्व फूल खिल जाता है।प्रि-टर्म बेबी जिनका वजन दो हजार ग्राम से कम होता है और जिनको जन्म के साथ ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता पड़ती है, आरओपी से ग्रस्त हो सकते हैं। समय रहते ऐसे शिशुओं का उपचार नहीं होता है तो उनकी आंखों की रोशनी चली जाती है। फाउंडेशन की ओर से राधात्री नेत्रालय की विशेष टीम महानगर और आस-पड़ोस के जिलों में जाकर प्रतिदिन जांच शिविरों के जरिए ऐसे शिशुओं की पहचान करती हैं, जिनको आरओपी के उपचार की जरूरत है। स्क्रीनिंग और टेली-ऑप्थेमेलोजी के बाद आवश्यकता अनुरूप नि:शुल्क उपचार किया जाता है जिसमें लेजर सर्जरी भी शामिल है।बाल नेत्र से शुरू हुई यात्राडा. वसुमति वेदांतम बतातीं हैं ’शिशु नेत्र रक्षक’ योजना की नींव ’बाल नेत्र’ नाम के कार्यक्रम से 2007 में पड़ीं। वे उस वक्त ऑटोरिक्शा में सवार होकर प्रतिदिन महानगर के पांचों बड़े सरकारी अस्पतालों में जाती थी, जहां प्रसव होते हैं। नवजात की आरओपी स्क्रीनिंग के बाद वे उनका आवश्यकता अनुरूप उपचार करती थीं। उनके अनुसार आरओपी में विजन को बनाए रखने की अंतिम तकनीक लेजर ट्रीटमेंट है।देश में नवजातों में आरओपी ठीक करने की लेजर सर्जरी करने वाले केवल 150 चिकित्सक ही हैं, जिनमें वे भी शामिल हैं। प्रतिदिन उनके अस्पताल से तीन वैन स्टाफ के साथ निकलती है जो अलग-अलग हिस्सों में जाकर स्क्रीनिंग कैंप के जरिए आरओपी पेशेन्ट की पहचान करती हैं। यह टीम चेन्नई महानगर से करीब दो सौ किमी की दूरी तक के गांवों को कवर करने के अलावा आंध्रप्रदेश के तिरुपति तक कैंप करती है।शिशुओं की आंखों की रोशनी की सुरक्षित करने के इस सफर में अब तक उनके परिजनों, मित्रों, मरीजों और कॉर्पोरेट संस्थाओं का साथ रहा है। इस सफर में उन्होंने एक लाख से अधिक नवजातों का परीक्षण किया है तो चार हजार से अधिक नि:शुल्क लेजर सर्जरी की है। उनका लक्ष्य अब शिशु नेत्र रक्षक योजना को विस्तार देना है, जिसमें समाजसेवी सुभाष रांका विशेष रूप से प्लेटिनम सदस्य के रूप में जुड़े हैं।

प्रवासी समाजसेवी और उद्यमी सुभाष रांका ने शुक्रवार को गुरुप्रिया विजन रिसर्च फाउंडेशन को नवजातों की स्क्रीनिंग के लिए वैन भेंट की। इस मौके पर राजस्थानी एसोसिएशन तमिलनाडु के अध्यक्ष प्रवीण टाटिया भी थे। रांका ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि शिशु नेत्र रक्षक योजना का लाभ समाज के हरेक तबके तक पहुंचाने के लक्ष्य में फाउंडेशन को किसी तरह की वित्तीय बाधा का सामना नहीं करना पड़े। नवजात की लेजर सर्जरी की लागत करीब पचास हजार रुपए तक पड़ती है। एक निर्धन अभिभावक इसे एफोर्ड नहीं कर पाता। हमारी कोशिश रहेगी ऐसे अभिभावकों को इस योजना का लाभ मिले।
गुरुप्रिया विजन रिसर्च फाउंडेशन कर रहा योजना का विस्तार

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