पुस्तक में तमिल का प्रादुर्भाव ईसा पूर्व ३०० तथा संस्कृत का ईसा पूर्व २००० वर्ष बताया गया है। तमिलनाडु के राजनेताओं, तमिल विद्वानों व आलोचकों को यह जानकारी गले नहीं उतर रही। इसका विरोध होने के बाद तमिलनाडु सरकार ने इस सूचना को न केवल गलत बताया बल्कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई का भरोसा भी दिलाया है।
इस कड़ी में तमिल संस्कृति मंत्री ने पुस्तक में दिए गए विवरण पर आपत्ति जताते हुए कहा कि संस्कृत की तुलना में तमिल अधिक पुरानी भाषा है। इसमें किसी तरह का संदेह नहीं है। किताब में तमिल भाषा का इतिहास विवरण गलत दिया गया है। गलती सुधारने के उपाय किए जा रहे हैं तथा इसके लिए दोषी लोगों पर कार्रवाई होगी। उन्होंने दावा किया ३.७५ लाख साल पहले भी तमिल लोग थे इसके साक्ष्य हासिल हुए हैं। सरकार ने कभी भी तमिल भाषा को निम्नतर नहीं माना है।