छोटे बंदरगाहों के मामले में राज्य सरकारों की शक्तियों को बाधित नहीं किया जाना चाहिए
छोटे बंदरगाहों के मामले में राज्य सरकारों की शक्तियों के संबंध मेंमौजूदा व्यवस्था को किसी भी तरह से बाधित नहीं किया जाना चाहिए
चेन्नई. तमिलनाडु के लोक निर्माण, राजमार्ग मंत्री ई.वी.वेलु ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित 18वीं समुद्री राज्य विकास परिषद बैठक में तमिलनाडु के विचारों को रखा। बैठक केंद्रीय राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में तमिलनाडु का पक्ष रखते हुए कहा कि छोटे बंदरगाहों के मामले में राज्य सरकारों की शक्तियों के संबंध में मौजूदा व्यवस्था को किसी भी तरह से बाधित नहीं किया जाना चाहिए। सेतुसमुद्रम शिप कैनाल परियोजना तमिलनाडु के लोगों का ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसे केन्द्र द्वारा जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए। वीओसी पोर्ट को ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वीओसी पोर्ट के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है। केन्द्र विस्तार के लिए इस योजना पर विचार कर सकती है।
मौजूदा भारतीय बंदरगाह अधिनियम, 1908 के अनुसार, छोटे बंदरगाहों की योजना बनाने, विकसित करने, विनियमित करने और नियंत्रित करने की शक्तियाँ राज्य सरकार के पास हैं। हालाँकि, मसौदा विधेयक राज्य सरकार से इनमें से कई शक्तियाँ छीन लेगा। समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) वर्तमान में एक सलाहकार निकाय है। मसौदा विधेयक के प्रावधान ऐसे हैं कि यह छोटे बंदरगाहों के लिए एक नियामक संस्था के रूप में काम करना शुरू कर देगा।
वर्तमान में छोटे बंदरगाहों के संबंध में नियम बनाने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है। मसौदा विधेयक के अनुसार, कई पहलुओं के संबंध में नियम बनाने की शक्ति केंद्र सरकार के पास जाएगी। देश में छोटे बंदरगाहों का अच्छी तरह से विकास हुआ है। मसौदा विधेयक इस अच्छी व्यवस्था को पूरी तरह कमजोर कर देगा। उन्होंने कडलूर और कन्याकुमारी बंदरगाहों के लिए सागरमाला/तटीय बर्थ योजना के माध्यम से वित्तीय सहायता के साथ विकास कार्यों को शुरू करने के लिए केन्द्र के प्रति आभार जताया।