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छतरपुर

पूर्णा अभियान में 16 हजार महिलाओं की हुई जांच, हाईरिस्क पर मिलीं 724 महिलाएं

देश में एक लाख पर 167, प्रदेश में 173 और छतरपुर जिले में 226 है मातृ मृत्यु दरहर ब्लॉक में है हाई रिस्क माताएं, बड़ामलहरा ब्लॉक में सबसे बुरे हालात

छतरपुरSep 21, 2020 / 09:45 pm

Dharmendra Singh

District's death rate worrisome

District’s death rate worrisome

छतरपुर। कोरोना महामारी के चुनौतीपूर्ण वक्त के बीच जिले की लगभग 22143 गर्भवती माताओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चों की सुरक्षा के लिए हाई अलर्ट पर काम किया जा रहा है। पूर्णा अभियान के नाम से पिछले महीने शुरू किए गए इस मिशन के माध्यम से जिले के तमाम शहरों और ग्रामीण इलाकों में मौजूद एक-एक गर्भवती महिला की स्वास्थ्य जांच के साथ उनके सुरक्षित प्रसव तक का इंतजाम किया गया है। एक सितम्बर से 18 सितम्बर के बीच ही इस मिशन के जरिए जिले की 16452 गर्भवती महिलाओं की जांच एवं पंजीयन किए जा चुके हैं।
जिले में मृत्यु दर चिंताजनक
जिले में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर के आंकड़े राज्य और पूरे देश के आंकड़ों की तुलना में बहुत खराब हैं। स्वास्थ्य सूचकांक के मुताबिक पूरे देश में जहां प्रति लाख प्रसव पर मातृ मृत्यु दर का आंकड़ा 167 है तो वहीं राज्य के हिसाब से यह आंकड़ा 173 है लेकिन जिले में हालात भयावह हैं। यहां प्रति लाख प्रसव पर 226 महिलाएं अपनी जान गवां देती हैं। इसी तरह शिशु मृत्यु दर की बात की जाए तो इसकी तस्वीर भी बहुत खतरनाक है। पूरे देश में प्रति हजार जन्म पर जहां 30 शिशुओं की जान जाती है तो वहीं राज्य के हिसाब से यह आंकड़ा 35 है लेकिन छतरपुर जिले में प्रति हजार जन्म पर 79 शिशुओं की मौत हो जाती है। जन्म के बाद भी बच्चों की जिंदगी के लिहाज से छतरपुर जिला कम खतरनाक नहीं है। बाल मृत्यु दर के आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरे देश में प्रति हजार जन्म के बाद 40 बच्चे अपनी जान गवां देते हैं तो वहीं राज्य के हिसाब से यह आंकड़ा 47 है लेकिन छतरपुर जिले में प्रति हजार जन्म पर 63 बच्चों की मौत हो रही है।
हर ब्लॉक में मिल रहीं हाई रिस्क गर्भवती माताएं
पूर्णा अभियान के दौरान जिले के सभी ब्लॉक में 22143 गर्भवती माताओं को चिन्हित किया गया है। इन माताओं में से 16452 गर्भवती माताओं की स्वास्थ्य जांच 18 सितम्बर तक कर ली गई है। 18 दिनों की ही जांच में जिले के हर ब्लॉक में हाई रिस्क गर्भवती माताएं मिल रही हैं। यानि गर्भ के दौरान महिलाओं में खून की कमी, पोषण की कमी, रक्तदाब का अधिक होना एवं गंभीर बीमारियों से जूझना पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक जिले भर में 724 हाईरिस्क गर्भवती महिलाएं मिली हैं। इनमें बड़ामलहरा ब्लॉक में 192, बिजावर ब्लॉक में 101, छतरपुर ब्लॉक में 59, लवकुशनगर ब्लॉक में 102, नौगांव ब्लॉक में 163, राजनगर ब्लॉक में 107 हाईरिस्क महिलाएं चिन्हित की गई हैं।
स्वस्थ समाज के लिए जरूरी

जिले में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर के आंकड़े बहुत चिंताजनक हैं। इन्हें सुधारने के लिए अभियान प्राथमिकता के साथ शुरु किया गया है। पूर्णा अभियान इस दृष्टि से भी आवश्यक है कि जब एक मां सुरक्षित प्रसव के जरिए एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है तो इसका असर पूरे समाज पर पड़ता है। पूरा समाज स्वस्थ मानसिकता के साथ आगे बढ़ता है।
शीलेन्द्र सिंह, कलेक्टर, छतरपुर
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