यह तीन संकल्प लिए :
-मैं स्वच्छ राजनीति के लिए खुद सक्रिय होकर अन्य को भी प्रेरित करुंगा।
– मैं राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें आगे बढ़ाने में सहयोग करुंगा।
– मैं आपराधिक अतीत वाले, भ्रष्ट और अनैतिक राजनीतिज्ञों का साथ कभी नहीं दूंगा।
राज्य अधिवक्ता परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट राजेंद्र गुप्ता ने इस मौके पर कहा कि पत्रिका की इस मुहिम से बदलाव जरूर आएगा। जब राजनीति में अच्छे लोग आगे आएंगे तो परिर्वन भी होगा। राजनीति का शुद्धिकरण होगा। इस अभियान से सभी को जुडऩा चाहिए और बदलाव की इस क्रांति के वाहक बनाना चाहिए।
एडवोकेट भास्कर तिवारी ने कहा कि पंचायत स्तर पर आरक्षण की व्यवस्था होती है, इस कारण अनपढ़ लोग राजनीतिक पदों पर बैठ जाते हैं। राजनीति में एडवोकेट के लिए कम से कम २५ प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए। लॉ ग्रेज्युट राजनीति में आएंगे तो बदलाव होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता नारायण महेश्वर काले ने कहा कि इतिहास उठाकर देख लिया जाए जितना योगदान इस देश में अधिवक्ताओं ने राजनीति के क्षेत्र में दिया है, उतना किसी भी वर्ग ने नहीं किया। लेकिन जैसे-जैसे हमारा लोकतंत्र बढ़ता गया, अधिवक्ताओं की संख्या राजनीति में कम होती गई। अधिवक्ता वौद्धिक रूप से संपन्न होता है। वैचारिक द्रष्टि से संपन्न होता है और न्यायायिक द्रष्टि और काम की द्रष्टि से भी संपन्न होता है। लेकिन अधिवक्ताओं की संख्या जैसे-जैसे राजनीति से घटती गई, उसकी गुणवत्ता भी खत्म होती चली गई। इसलिए मैं अधिवक्ताओं से आव्हान करता हूं कि आगे आकर इस देश की राजनीति में प्रवेश करना ही चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेंद्र नायक ने कहा कि जब से देश आजाद हुआ है तब से छतरपुर के अधिवक्ता संघ ने यहां से अच्छे राजनेता इस समाज ओर देश के लिए दिए हैं। कई विधायक, मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष से लेकर बड़े पदों पर अधिवक्ता ही रहे हैं। ऐसे लोगों ने अच्छे काम भी किए, लेकिन जब से अधिवक्ताओं ने इस क्षेत्र से दूरी बनाई है तब से यह क्षेत्र दूषित हो गया है।
पूर्व बार संघ अध्यक्ष देवेंद्र मिश्रा ने कहा कि अधिवक्ताओं के हित के लिए सरकारों ने नहीं सोचा है। सरकारें उनके कल्याण के लिए काम नहीं कर रही है। अधिवक्ता आज सुविधाओं के लिए मोहताज है। एक अधिवक्ता के जीवन में जो संघर्ष दिख रहा है उससे लगता है कि अपने हक के लिए जब तक राजनीतिक क्षेत्र में हमारी पैरवी करने वाला नहीं होगा, तब तक मोहताज ही रहेंगे।
अधिवक्ता राजेंद्र शर्मा ने कहा कि कलेक्टर-एसपी से लेकर हर बड़े पदों के लिए शिक्षा का मापदंड निर्धारित है। लेकिन राजनीति में जाने वालों के लिए कोई बाधा नहीं है। ऐसे में जिन्होंने शिक्षा नहीं ली, वे देश कैसे चलाएंगे। इसलिए यह देखना होगा कि जो भी प्रत्याशी चुनाव में आते हैं उनकी शिक्षा और उनके स्तर को देखना होगा। अगर इस ओर ध्यान नहीं देंगे तो राजनीति में बदलाव नहीं आएगा। अगर राजनीति में अधिवक्तागण आते हैं तो उनकी शिक्षा और अनुभव का सभी को लाभ मिलेगा। राजनीति में स्वच्छता आएगी।
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राजनीति का नैतिक पतन हो रहा है। समाज का भरोसा भी उस पर से खत्म होता चला रहा है। भ्रष्ट और अनैतिक काम में लगे लोग राजनीति के प्रतिष्ठत पदों पर बैठ गए हैं। अजीब सी छटपटाहट और बेचैनी लोगों के बीच देखने मिल रही है। ऐसे में राजनीति के शुद्धिकरण के लिए शुरू की गई यह पहले नाउम्मीद हो चुके लोगों के लिए ऊर्जा की किरण बन सकती है। अब भी समाज का भरोसा न्याय की चौखट पर आकर टिक जाता है। इसलिए अधिवक्ताओं को बदलाव के इस अभियान में शामिल होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
– जयदेव चंसौरिया, वरिष्ठ अधिवक्ता
एक अधिवक्ता के अनुभव और अध्ययन जब इस समाज को मिलेगा तो निश्चित रूप से राजनीति की उर्वरा अच्छी होगी। अच्छे चरित्र के लोग राजनीति में सामने आएंगे। राजनीति का शुद्धिकरण करने के लिए अधिक्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। इसलिए समाज का भरोसा कायम रखते हुए राजनीति में अच्छे चरित्र, स्वच्छ छवि के ईमानदार लोगों को आगे आना होगा। युवाओं को विशेष रूप से बदलाव का नायक बनकर लोकतंत्र के इस पवित्र महायज्ञ में अपनी आहुति डालनी चाहिए।
– ओमप्रकाश सोनी, वरिष्ठ अधिवक्ता
राजनीति के शुद्धिकरण को लेकर पत्रिका की पहल से प्रभावित युवा अधिवक्ताओं ने चेंजमेकर के रूप में खुद का नामांकन दर्ज किया। विवेक प्रताप सिंह, विशाल राय और शहवाज चौधरी ने एक साथ चेंजमेकर के रूप में ऑनलॉइन अपना नामांकन दाखिल किया। बाद में और युवा अधिवक्ताओं को भी इस अभियान में जुडऩे के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि बदलाव की इस मुहिम में हम साथ है।