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छतरपुर

पन्ना के बाद अब छतरपुर जिले में होगा हीरा उत्खनन, उद्योग स्थापित होने से मिलेगा रोजगार

पन्ना-अजयगढ़ के हर्षा वन और छतरपुर के राजनगर में हर्षा-2 के बीच डायमंड कॉरिडोर बनाया जाना है। इसके लिए प्रोस्पेक्टिंग लीज (पीएल) के लिए भोपाल से ऑनलाइन नीलामी की तैयारी है। उसके बाद माइनिंग लीज(एमएल) दी जाएगी। कॉरिडोर बनने से पन्ना के बाद अब छतरपुर जिले की पहचान भी हीरा उत्पादन के लिए होगी।

छतरपुरMay 24, 2024 / 10:44 am

Dharmendra Singh

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हीरे के लिए चिंहित गांवों की सेटेलाइट इमेज

छतरपुर. पन्ना और छत्तरपुर के बीच सर्वे में हीरा मिला है। पन्ना-अजयगढ़ के हर्षा वन और छतरपुर के राजनगर में हर्षा-2 के बीच डायमंड कॉरिडोर बनाया जाना है। इसके लिए प्रोस्पेक्टिंग लीज (पीएल) के लिए भोपाल से ऑनलाइन नीलामी की तैयारी है। उसके बाद माइनिंग लीज(एमएल) दी जाएगी। कॉरिडोर बनने से पन्ना के बाद अब छतरपुर जिले की पहचान भी हीरा उत्पादन के लिए होगी। हीरा खदान का ज्यादातर क्षेत्र राजस्व भूमि में होने से पर्यावरण की अनुमति की राह आसान होगी। बंदर हीरा प्रोजेक्ट की तरह पर्यावरण संबंधी अड़चन न आने से इस क्षेत्र में हीरा खनन आसान होगा। हीरा खनन उद्योग स्थापित होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

राजनगर के 6 गांवों में हीरे का भंडार


जीएसआई (जियोलॅजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के सर्वे राजनगर तहसील इलाके में हीरा मिलने के बाद प्रोजेक्ट के क्षेत्र की गूगल मैपिंग कराई गई है। जीएसआई (जियोलॅजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के सर्वे में जिले के राजनगर के 6 गांवों में हीरे का भंडार पाया गया है। राजनगर तहसील में हर्षा-2 डायमंड प्रोजेक्ट के लिए एरिया को खनिज विभाग ने सुरक्षित किया है। जीएसआई के सर्वे में जिले के बमनौरा, मऊमसानिया, धवाड़, महलवार, बेनीगंज, बरखेड़ा की सर्वाधिक 1612. 710 हेक्टेयर राजस्व भूमि प्रभावित होगी। इसके साथ इस प्रोजेक्ट में 58.290 हेक्टेयर वन भूमि जाएगी।

1666 हेक्टेयर जमीन हुई चिंहित


छतरपुर व पत्रा के हर्षा वन और टू ब्लॉक के लिए ऑनलाइन नीलामी होगी। जिले के राजनगर में डायमंड प्रोजेक्ट में 6 गांवों की 1666 हेक्टेयर जमीन को चिंहित किया गया है। छतरपुर और पन्ना डायमंड प्रोजेक्ट के लिए मिनरल्स रिसोर्स डिपार्टमेंट नीलामी करेगा। बकस्वाहा में हीरा खदान की नीलामी के बाद पर्यावरण संबंधी अड़चने सामने आने के चलते किसी कंपनी ने राजनगर इलाके में पहली बार नीलामी मे रुचि नहीं दिखाई। ऐसे में दोबारा नीलामी कर निवेशकों को खोजा जाएगा।

बकस्वाहा में पर्यावरण की अनुमति का लगा रोड़ा


दरअसल बकस्वाहा के बंदर डायमंड ब्लॉक का साल 2005 से 2011 के बीच पता लगाया गया। उसके बाद 2012 में इसके लिए ऑस्ट्रेलिया की रियो टिंटो को 954 हेक्टेयर क्षेत्र के माइनिंग लीज के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) दिया गया। हालांकि रियो टिंटो ने कई मंजूरियां भी प्राप्त कर ली, लेकिन साल 2017 में वह इस परियोजना से बाहर चली गई। साल 2019 में ब्लॉक की नीलामी की गई। इसमें कई कंपनियों ने हिस्सा लिया। ब्लॉक में मध्य प्रदेश सरकार को 30.05 पर्सेंट रेवेन्यू हिस्सेदारी की बोली मिली। 19 दिसंबर 2019 को ज्यादा बोली लगाने वाले एस्सेल को एलओआई जारी किया गया। पर्यावरण में होने वाले कुल उत्सर्जन को कम करने के लिए हालांकि 954 हेक्टेयर क्षेत्र को कम कर के 364 हेक्टेयर की माइनिंग लीज कर दी गई। इसमें 3.4 करोड़ कैरेट्स हीरा शामिल है। अनुमान है कि यहां हर साल 30 लाख कैरेट्स कच्चे हीरे मिलेंगे। हालांकि बक्सवाहा में 4 लाख पेड़ काटकर हीरा खदान शुरु करने और जंगल में पाए गए 25 हजार वर्ष पुराने रॉक पेंटिंग को बचाने भी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर हाईकोर्ट ने खनन पर स्टे आदेश जारी किया है।

इनका कहना है


जीएसआई के सर्वे में जिले के राजनगर तहसील के 6 गायों में हीरा पाए जाने की पुष्टि के बाद एरिया की गूगल मैपिंग कराई गई। नीलामी की प्रक्रिया भोपाल स्तर से होना है।
अमित मिश्रा, सहायक संचालक खनिज

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