लवकुशनगर इलाके के कटहरा में संचालित फॉर्चून स्टोन लिमटेड ने कोरोना काल में जून 2020 को 40 मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया था। जिसमें से सात मजदूरों विवेक कुमार, चरण सिंह, रामविशाल, महाप्रसाद, एवं रसीद मुहम्मद ड्राइवर, मोहम्मद नसीम खान वेल्डिंग हेल्पर, हरगोविंद पटेल मशीन ऑपरेटर ने श्रम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। आसपास के गांवों के ये मजदूर कंपनी में पिछले 12-13 साल से काम कर रहे थे। मजदूरों ने 19 महीने तक श्रम न्यायालय में केस लड़ा, जिसमें कर्मचारियों की जीत हुई और कंपनी ने 17 दिसंबर 2021 को दोबारा ज्वाइनिंग का ऑफर लेटर दे दिया। लेकिन एक महीने भी नहीं हुए और कंपनी ने 13 जनवरी 2022 को कानूनी लड़ाई लडऩे वाले 7 मजदूरों समेत 40 मजदूरों को दिल्ली व उदयपुर ट्रांसफर का आदेश पकड़ा दिया है। मजदूरों ने ट्रांसफर आदेश का विरोध शुरु कर दिया है। क्योंकि मजदूरों को कटहरा खदान में काम पर वापस लेने का आश्वासन देकर कंपनी ने न्यायालय का केस निपटा लिया और अब 700 से 800 किलोमीटर दूर दिल्ली व उदयपुर ट्रांसफर कर मजदूरों को फिर से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर ली है।
कंपनी में डंपर ड्राइवर के रुप में 12 साल से काम कर रहे चरण सिंह का कहना है कि कोरोना की शुरुआत में ही उन्हें कंपनी ने बाहर निकाल दिया गया था। संकट के इस काल में उन्होने बच्चों की गुल्लक फोड़कर परिवार का खर्च चलाया। नौकरी जाने के सदमें में उनके पिता की मौत तक हो गई। जब कंपनी ने दोबारा काम पर रखने की बात कही तो लगा कि अब संक ट खत्म हो गया, लेकिन अब कंपनी ने ट्रांसफर आदेश निकालकर फिर मुसीबत में डाल दिया है। मजदूर हरगोविंद पटेल का कहना है कि कंपनी नए मजदूरों को भर्ती कर रही है। लेकिन पुराने मजदूरों को किसी न किसी बहाने बाहर करने की कोशिश लगातार कर रही है। इन मजदूरों की लड़ाई में साथ दे रहे देवेशदत्त रिछारिया का कहना है कि कंपनी मजदूरों के दर्द को नजरअंदाज कर रही है। पुराने कर्मचारियों को ही निशाना बनाया जा रहा है।
कटहरा खदान का काम ठीक नहीं चल रहा है। चूकि हमें इन मजदूरों को काम देना है, इसलिए हम उन्हे अपने दूसरे ऑफिसों में भेज रहे हैं। वहां हमें कर्मचारियों की जरूरत है। मजदूरों से किसी प्रकार की दुश्मनी नहीं निकाली जा रही है। कंपनी की स्थित के अनुसार व्यवस्था बनाई जा रही है।
विजय, महाप्रबंधक, फार्चून स्टोन