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छतरपुर

19 महीने लड़ा केस, उसी पद व वेतन पर वापस लेने का आश्वासन देकर भेज रहे बाहर

12-13 साल से कंपनी में काम कर रहे थे 40 मजदूर, कोरोना काल की शुरुआत में कंपनी ने किया था बाहरश्रम न्यायालय ने वापस दिलाई नौकरी, लेकिन अब केस करने वाले मजदूरों का 700 किलोमीटर दूर कर दिया ट्रासंफर

छतरपुरJan 16, 2022 / 07:03 pm

Dharmendra Singh

केस करने वाले मजदूरों का 700 किलोमीटर दूर कर दिया ट्रासंफर

केस करने वाले मजदूरों का 700 किलोमीटर दूर कर दिया ट्रासंफर

छतरपुर। कोरोना ने संकटकाल में मजदूरों पर आई आफत से अब भी छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। 12 साल से सेवा दे रहे 40 मजदूरों को कोरोना काल की शुरुआत में कंपनी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। जिसके बाद मजदूरों ने अपने हक के लिए श्रम प्रवर्तन अधिकारी (केन्द्रीय)न्यायालय सतना में 19 महीने तक केस लड़ा। केस के चलते कंपनी ने बाहर निकाले गए मजदूरों को लिखित में उसी पद व वेतन पर वापस ले लिया, लेकिन अब उन मजदूरों को पुराने काम पर न रखकर दिल्ली- उदयपुर भेजकर उनसे पीछा छुड़ाने में लगी है। कंपनी के रवैये से परेशान मजदूरों ने ट्रांसफर आदेश लेने से इंकार कर दिया और अपने साथ हुए व्यवहार का विरोध शुरु कर दिया है। इस संबंध में मजदूरों ने मुख्यमंत्री, श्रम मंत्री , कलेक्टर से शिकायत कर मदद की गुहार लगाई है।
ये है पूरा मामला
लवकुशनगर इलाके के कटहरा में संचालित फॉर्चून स्टोन लिमटेड ने कोरोना काल में जून 2020 को 40 मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया था। जिसमें से सात मजदूरों विवेक कुमार, चरण सिंह, रामविशाल, महाप्रसाद, एवं रसीद मुहम्मद ड्राइवर, मोहम्मद नसीम खान वेल्डिंग हेल्पर, हरगोविंद पटेल मशीन ऑपरेटर ने श्रम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। आसपास के गांवों के ये मजदूर कंपनी में पिछले 12-13 साल से काम कर रहे थे। मजदूरों ने 19 महीने तक श्रम न्यायालय में केस लड़ा, जिसमें कर्मचारियों की जीत हुई और कंपनी ने 17 दिसंबर 2021 को दोबारा ज्वाइनिंग का ऑफर लेटर दे दिया। लेकिन एक महीने भी नहीं हुए और कंपनी ने 13 जनवरी 2022 को कानूनी लड़ाई लडऩे वाले 7 मजदूरों समेत 40 मजदूरों को दिल्ली व उदयपुर ट्रांसफर का आदेश पकड़ा दिया है। मजदूरों ने ट्रांसफर आदेश का विरोध शुरु कर दिया है। क्योंकि मजदूरों को कटहरा खदान में काम पर वापस लेने का आश्वासन देकर कंपनी ने न्यायालय का केस निपटा लिया और अब 700 से 800 किलोमीटर दूर दिल्ली व उदयपुर ट्रांसफर कर मजदूरों को फिर से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर ली है।
बच्चों की गुल्लक फोड़कर पाला परिवार
कंपनी में डंपर ड्राइवर के रुप में 12 साल से काम कर रहे चरण सिंह का कहना है कि कोरोना की शुरुआत में ही उन्हें कंपनी ने बाहर निकाल दिया गया था। संकट के इस काल में उन्होने बच्चों की गुल्लक फोड़कर परिवार का खर्च चलाया। नौकरी जाने के सदमें में उनके पिता की मौत तक हो गई। जब कंपनी ने दोबारा काम पर रखने की बात कही तो लगा कि अब संक ट खत्म हो गया, लेकिन अब कंपनी ने ट्रांसफर आदेश निकालकर फिर मुसीबत में डाल दिया है। मजदूर हरगोविंद पटेल का कहना है कि कंपनी नए मजदूरों को भर्ती कर रही है। लेकिन पुराने मजदूरों को किसी न किसी बहाने बाहर करने की कोशिश लगातार कर रही है। इन मजदूरों की लड़ाई में साथ दे रहे देवेशदत्त रिछारिया का कहना है कि कंपनी मजदूरों के दर्द को नजरअंदाज कर रही है। पुराने कर्मचारियों को ही निशाना बनाया जा रहा है।
ये कहना है जिम्मेदारों का
कटहरा खदान का काम ठीक नहीं चल रहा है। चूकि हमें इन मजदूरों को काम देना है, इसलिए हम उन्हे अपने दूसरे ऑफिसों में भेज रहे हैं। वहां हमें कर्मचारियों की जरूरत है। मजदूरों से किसी प्रकार की दुश्मनी नहीं निकाली जा रही है। कंपनी की स्थित के अनुसार व्यवस्था बनाई जा रही है।
विजय, महाप्रबंधक, फार्चून स्टोन

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