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छतरपुर

रुढ़ीवादी परंपरा: बड़े बुजुर्गो के सम्मान में चप्पल हाथ में लेकर चलती है बहुएं

गांव के बड़े बुजुर्गो के सामने बहुओं का चप्पल पहनना मर्यादा के खिलाफ मानने की पंरपरा 200 साल बाद भी चली आ रही है। नई पीढ़ी में इस रुढ़ीवादी परंपरा को खत्म करने की सुगबुगाहट भी है, समाजसेवियों व संगठनों ने गांव की परंपरा को खत्म करने के लिए जागरुकता लाने के प्रयास भी किए, लेकिन सभी कवायदों के वाबजूद गांव की ये परंपरा रुढ़ीवादी रुवरुप में आज भी निभाई जा रही है।

छतरपुरMay 24, 2024 / 10:48 am

Dharmendra Singh

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बड़े बुुजुर्गो के सम्मान में हाथ में चप्पल लेकर जाती मानकी गांव की महिला

छतरपुर. जिले के एक आदिवासी गांव की बहुएं गांव के अंदर चप्पल नहीं पहनती है, बल्कि हाथ में लेकर चलना होता है। गांव के बड़े बुजुर्गो के सामने बहुओं का चप्पल पहनना मर्यादा के खिलाफ मानने की पंरपरा 200 साल बाद भी चली आ रही है। नई पीढ़ी में इस रुढ़ीवादी परंपरा को खत्म करने की सुगबुगाहट भी है, समाजसेवियों व संगठनों ने गांव की परंपरा को खत्म करने के लिए जागरुकता लाने के प्रयास भी किए, लेकिन सभी कवायदों के वाबजूद गांव की ये परंपरा रुढ़ीवादी रुवरुप में आज भी निभाई जा रही है।

200 साल से चली आ रही परंपरा


छतरपुर जिला मुख्यालय से 135 किलोमीटर दूर बकस्वाहा ब्लॉक में जैन समुदाय के तीर्थ स्थल नैनागिरी से लगा हुआ मानकी गांव हैं। छोटी सी टेकरी नुमा पहाड़ी पर बसे 350 परिवारों वाले गांव में लगभग 200 वर्ष पूर्व से निवासरत गांव में सभी परिवार आदिवासी सौर समुदाय के है। इस गांव में बहुओं का बड़े बुजर्गो के सामने चप्पल पहनकर निकलना मर्यादा के खिलाफ माना जाता है। माना जाता है कि इससे बुजुर्गो के सम्मान को ठेस पहुंचाती है। हालांकि ये परंपरा गांव की बेटियों के लिए नहीं है।

बुजुर्गो के सम्मान से जुड़ी है परंपरा


गांव की देशरानी आदिवासी कहती है कि खेती किसानी के काम में जाते है तो चप्पल पहन लेते है, गांव के अन्दर बस्ती में मर्यादा के कारण नही पहनते हैं। गांव की कोई महिला नही पहनती है। गांव में कोई अजनबी भी चला आए, तो उन्हे देख कर भी महिलाएं अपनी चप्पल को उतार कर सिर के पास या हाथ में रख लेती है। उनसे ये पूछने पर कि अगर नई बहुएं परंपरा का नहीं मानें तो क्या होगा। इसके जबाव में देशरानी कहतीं हैं कि गांव के बड़े बुजुर्ग ऐसी बहु को उलाहना देते हैं। ये अच्छा नहीं माना जाता है। पूरा गांव इसे अच्छा नहीं मानता, इसलिए हर महिला परंपरा का पालन कर रही है।

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