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छतरपुर

देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना: केन बेतवा लिंक परियोजना के मुख्य बांध में डूब जाएंगे 100 साल पुराने 10 गांव

मुख्य बांध ढोढऩ में 10 गांव डूब जाएंगे। पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बसे ये गांव 100 साल से भी पुराने हैं। जहां विकास 76 साल में भी नहीं पहुंचा, लेकिन गांव विस्थापित होने जा रहा है। इन गांवों के ग्रामीणों को चार नए स्थानों पर बसाया जाएगा।

छतरपुरMay 22, 2024 / 11:09 am

Dharmendra Singh

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ढोढऩ इलाके का सेटेलाइट मैप

छतरपुर. बुंदेलखंड व देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना के लिए बनाए जाने वाले मुख्य बांध ढोढऩ में 10 गांव डूब जाएंगे। पन्ना टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बसे ये गांव 100 साल से भी पुराने हैं। जहां विकास 76 साल में भी नहीं पहुंचा, लेकिन गांव विस्थापित होने जा रहा है। इन गांवों के ग्रामीणों को चार नए स्थानों पर बसाया जाएगा। विस्थापन से पहले मुआवजा वितरण का काम शुरू हो गया है। डूब क्षेत्र के प्रभावितों को 267 करोड़ का मुआवजा बांटा जाना है, जिसमें से 50 करोड़ का वितरण हो चुका है।

इन चार जगहों में विस्थापित होंगे प्रभावित


केन-बेतवा लिंक परियोजना के प्रभावितों के विस्थापन की रणनीति पर काम किया जा रहा है। छतरपुर जिले के प्रभावित 14 गांव के ग्रामीणों को चार गांवों में बसाया जाएगा। इन गांवों में भरकुआं, ढोढन, खरियानी, कुपी, मैनारी, पलकोंहा, शाहपुरा, सुकवाहा, पाठापुर, नैगुवां, डुंगरिया, कदवारा, घुघरी, बसुधा शामिल हैं। इन गांवों के विस्थापित परिवारों को भैंसखार, राइपुरा, नंदगांयबट्टन और किशनगढ़ में बसाया जाएगा। इन चारों स्थानों पर जमीन को चिह्नित कर लिया गया है।

ये कहना है ग्रामीणों का


गौरी शंकर यादव क हते हैं हम 100 वर्षों से भी अधिक समय से यहां रह रहे हैं। वैसे भी आजादी के 76 साल बाद भी इस गांव में उजियारा नहीं आया। मनरेगा के बाद भी यहां किसी को रोजगार नहीं मिलता। जब से इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है, हम फिर से गुलाम हो गए. हमारा जीवन इन्हीं जंगलों से चलता था, महुआ बीनते थे, लकडिय़ा बेचते थे, बांस काटते थे, जो लोग पलायन करके अब दिल्ली जाते हैं, वे यहीं कमा खा लेते थ। लेकिन इसे रिजर्व क्षेत्र घोषित करने के बाद हम अपने मवेशियों को जंगल में चरा भी नहीं पाते हैं। अब तो हमारा गांव ही छूटने जा रहा है। गांव के 75 वर्षीय भूरा कुमार ने अपना पूरा जीवन इन्हीं पेड़ों के बीच व्यतीत किया है, लेकिन आज यहां मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर न होने के कारण वे अब अपने मिट्टी के प्रति मोह भी नहीं बचा पाए हैं। अपने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए जंगल छोडक़र भागना ही उन्हें एकमात्र रास्ता दिखाई पड़ता है।

बांध में डूबेंगे 10 गांव


केन बेतवा लिंक परियोजना का मुख्य बांध केन नदीं पर ढोढऩ में बनाया जाएगा। 5500 करोड़ की लागत वाले इस बांध की ऊंचाई 77 मीटर और लंबाई 2031 मीटर यानि करीब 2.03 किमी होगी। बांध की जलभराव क्षमता 6590 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) होगी। केन-बेतवा लिंक परियोजना में बनाए जा रहे ढोढऩ बांध में 10 गांव ढोढऩ, पलकौहां, खरियानी, भोरखुआं, सुकवाहा, मैनारी, कुपी, शाहपुरा, पाठापुर, नैगुवां डूब जाएंगे। परियोजना में कुल 11284 ग्रामीण प्रभावित होंगे।

घर, परिवार व मवेशी भी होंगे प्रभावित


जल शक्ति मंत्रालय द्वारा बनाए गए प्रारंभिक डीपीआर के मुताबिक 637 कच्चे घर, 1252 आधे कच्चे-पक्के मकान और 24 पक्के मकान डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। प्रभावित घरों के मालिकों को मुआवजा के बतौर पक्के मकान के बदले डेढ लाख, आधा कच्चा-पक्का मकान का एक लाख और कच्चा मकान का 50 हजार रुपए मुआवजा दिया जाएगा। दस गांव के डूब क्षेत्र में जाने से न केवल वहां के लोग बल्कि पालतू मवेशी भी प्रभावित होंगे। 9317 गाय, 249 भैंसा, 3387 भैंसे, 345 भेड़, 11957 बकरी, 1378 मुर्गा-मुर्गी और 1952 अन्य पालतू जानवर भी प्रभावित हो रहे हैं।

फैक्ट फाइल


मुख्य बांध में प्रभावित दस गांव
गांव प्रभावित घर
बसौदा 39
भरकुआं 57
ढोढन 132
घौरारी 33
खरियानी 300
कुपी 512
मैनारी 75
पलकोंहा 452
शाहपुरा 88
सुुकवाहा 225

इनका कहना है


डूब क्षेत्र के गांवों के लिए 267 करोड़ की राशि वितरित होना है। अब तक करीब 50 करोड़ की राशि वितरित हो गई, शेष वितरण का काम चल रहा है। प्रभावित गांवों के ग्रामीणों को सुचारू रूप से मुआवजा राशि मिले, इसके लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
निर्मल चंद्र जैन, ईई, केंद्र बेतवा लिंक परियोजना

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